
महाराष्ट्र स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में बनेगा अग्रणी राज्य: मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस
मुंबई। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी राज्य बनने की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठा रहा है। सोमवार को उनके आधिकारिक निवास वर्षा पर महाराष्ट्र राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी लिमिटेड (महाजेंको) और भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम लिमिटेड (एनपीसीआईएल) के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। इसके साथ ही महाराष्ट्र केंद्र सरकार की परमाणु ऊर्जा आधारित बिजली उत्पादन पहल में भाग लेने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। कार्यक्रम में ऊर्जा विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव आभा शुक्ला, एनपीसीआईएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक बी.सी.पाठक, महाराष्ट्र परिवर्तन संस्थान (मित्र) के सीईओ प्रवीण परदेशी, महाजेंको के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक राधाकृष्णन बी. सहित दोनों संस्थानों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि भारत के तेज़ी से विकास के लिए स्वच्छ, सुरक्षित और विश्वसनीय ऊर्जा की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘स्वच्छ ऊर्जा-सक्षम राष्ट्र’ नीति राज्यों को परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं में भागीदारी के अवसर दे रही है। उन्होंने कहा कि अब तक यह क्षेत्र केवल केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में था, पर पहली बार महाराष्ट्र जैसे राज्य को इसमें प्रत्यक्ष भागीदारी का अवसर मिल रहा है। मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि महाराष्ट्र देश की ‘डेटा सेंटर राजधानी’ बन चुका है, जहां 50 से 60 प्रतिशत डेटा सेंटर क्षमता मौजूद है। इस क्षेत्र के लिए 24 घंटे उपलब्ध स्वच्छ बिजली अत्यंत आवश्यक है, और परमाणु ऊर्जा इस आवश्यकता को सबसे प्रभावी रूप से पूरा करेगी। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र को एनपीसीआईएल के अनुभव और विशेषज्ञता का सीधा लाभ मिलेगा। इस अवसर पर महाजेंको और एनपीसीआईएल की ओर से राधाकृष्णन बी. और बी. सी. पाठक ने समझौते पर हस्ताक्षर किए। दोनों संस्थानों के तकनीकी और प्रशासनिक अधिकारियों ने परियोजना के विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श किया।
2047 तक स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन का रोडमैप और परमाणु ऊर्जा की बढ़ती भूमिका
पारंपरिक ऊर्जा उत्पादन तकनीकों पर बढ़ते पर्यावरणीय दबाव को देखते हुए भारत तेज़ी से स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढ़ रहा है। जीवाश्म ईंधन आधारित उत्पादन से प्रदूषण, संसाधनों की कमी और अपशिष्ट प्रबंधन जैसी समस्याएँ बढ़ी हैं। इसके विपरीत सौर, पवन और परमाणु ऊर्जा जैसी तकनीकें तेजी से विस्तार कर रही हैं। विशेष रूप से ऊर्जा भंडारण को बढ़ावा मिलने और स्मार्ट ग्रिड तकनीकों के विकास ने स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग को अधिक व्यवहारिक बनाया है। भारत का लक्ष्य 2047 तक 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना है। इस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए कम CO2 उत्सर्जन वाली तकनीकों की आवश्यकता होगी। 2070 तक ‘नेट जीरो उत्सर्जन’ हासिल करने के लिए परमाणु ऊर्जा को सबसे विश्वसनीय और स्थिर स्रोत के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि यह 24 घंटे निरंतर बिजली उत्पादन करने में सक्षम है। भारत में वर्तमान में सात स्थलों पर 25 परमाणु रिएक्टर चालू हैं, जिनकी क्षमता 8,880 मेगावाट है। आठ और रिएक्टर निर्माणाधीन हैं, जिनमें 500 मेगावाट क्षमता वाला प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रिएक्टर भी शामिल है। इसके अलावा, 7,000 मेगावाट की नई परियोजनाओं के लिए दस रिएक्टर और स्वीकृत किए गए हैं, जिनके लिए केंद्र सरकार ने 2,000 करोड़ रुपये के कोष को मंजूरी दी है। औद्योगिक उत्पादन विशेषतः इस्पात, सीमेंट और एल्युमीनियम क्षेत्र में 2047 तक तेज़ी से वृद्धि का अनुमान है। इन क्षेत्रों को सतत और निर्बाध बिजली आपूर्ति की आवश्यकता होगी। परमाणु ऊर्जा संयंत्र उच्च क्षमता कारक के साथ लगातार बिजली उत्पादन करते हैं, इसलिए वे बेस लोड पावर स्टेशनों के रूप में सबसे उपयुक्त माने जाते हैं। महाराष्ट्र में तेज़ी से बढ़ते औद्योगिक विकास और डेटा सेंटरों की बढ़ती संख्या के कारण 24 घंटे उपलब्ध स्वच्छ ऊर्जा की मांग बढ़ रही है। इस संदर्भ में महाजेंको और एनपीसीआईएल का यह समझौता राज्य के ऊर्जा क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक मोड़ साबित होगा और 2047 तक राज्य के स्वच्छ ऊर्जा रोडमैप को नई दिशा देगा।




