मुंबई। महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में कैबिनेट बैठक में कई अहम फैसले लिए, जिनमें मदरसों में पढ़ाने वाले टीचरों की सैलरी में बढ़ोतरी भी शामिल है। इसके अलावा, मौलाना आज़ाद अल्पसंख्यक वित्तीय विकास निगम का बजट भी 700 करोड़ से बढ़ाकर 1,000 करोड़ कर दिया गया है। इस निर्णय पर एआईएमआईएम नेता वारिस पठान ने नाराजगी जाहिर करते हुए इसे “तुष्टिकरण की राजनीति” करार दिया। सरकार ने मदरसा शिक्षकों की सैलरी बढ़ाकर नॉर्मल टीचरों की सैलरी 6 हजार से 16 हजार और बी.एड टीचरों की सैलरी 8 हजार से 18 हजार कर दी है। वारिस पठान ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “जब हम विधानसभा में थे, तब हमने मदरसा शिक्षकों की सैलरी बढ़ाने और उन्हें आधुनिक बनाने के मुद्दे को उठाया था, लेकिन तब सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया। अब चुनाव नजदीक हैं, इसलिए सरकार यह कदम उठा रही है। यह तुष्टिकरण की राजनीति है। पठान ने कहा कि एक तरफ सरकार मदरसा टीचरों की सैलरी बढ़ा रही है, तो दूसरी तरफ कुछ नेताओं को मुसलमानों के खिलाफ भड़काऊ बयान देने की छूट दी जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार का असली मकसद ध्रुवीकरण की राजनीति करना है, क्योंकि उनके पास जनता के विकास के नाम पर कुछ नहीं है। यह मुद्दा चुनाव से ठीक पहले उठाए गए फैसलों को लेकर राज्य की राजनीति में गर्माया हुआ है।