
उदयपुर, राजस्थान। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि भगवान बिरसा मुण्डा ने 19वीं शताब्दी के अंत में अंग्रेजी हुकूमत के विरुद्ध संघर्ष कर आजादी के आंदोलन को मजबूत आधार दिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दूरदर्शी सोच से देशभर में जनजातीय गौरव से जुड़े विविध आयोजन हो रहे हैं। 15 नवंबर (जनजातीय गौरव दिवस) मात्र एक तिथि नहीं, बल्कि जनजाति गौरव और संघर्ष की अमर स्मृति है। शर्मा शुक्रवार को उदयपुर में शोभागपुरा स्थित एक होटल में बिरसा मुण्डा की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य पर हो रहे आयोजनों को लेकर बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने आगामी 15 नवंबर को डूंगरपुर में प्रस्तावित राज्यस्तरीय समारोह की समीक्षा करते हुए कहा कि राज्य स्तरीय कार्यक्रम में जनभागीदारी को प्राथमिकता दी जाए और विद्यालयों, महाविद्यालयों, सामाजिक संगठनों को सक्रिय रूप से जोड़ा जाए। साथ ही, छात्र-छात्राओं को बिरसा मुण्डा के जीवन, संघर्ष और बलिदान के बारे में व्यापक जानकारी दी जाए। वंचित लोगों तक पहुंचे योजनाओं का लाभ
बैठक में मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ पात्र व्यक्तियों तक पहुंचना सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने जनजातीय क्षेत्र में सरकार की उपलब्धियां बताते हुए कहा कि जनजाति आवासीय विद्यालयों में मेस भत्ता तथा मां-बाड़ी कार्यकर्ताओं के मानदेय में की गई वृद्धि राज्य सरकार की संवेदनशील नीतियों का प्रतिबिंब है। हमारी सरकार ने जनजाति क्षेत्र के उत्थान के लिए अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिए है।
बैठक में जनजाति क्षेत्रीय विकास मंत्री बाबूलाल खराड़ी ने कहा कि बिरसा मुण्डा कुछ और समय जीवित रहते तो अंग्रेजों को बहुत पहले ही देश छोड़ना पड़ता। स्वतंत्रता की लड़ाई में 170 से अधिक जनजाति नायकों ने अपने प्राणों की आहुति दी। उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी को इन नायकों की गौरव गाथा से रूबरू कराने की आवश्यकता है। इसी क्रम में वर्ष 2021 से जनजाति गौरव दिवस मनाने की शुरूआत की गई तथा इस वर्ष जनजातीय गौरव वर्ष मनाया जा रहा है। उन्होंने 15 नवंबर के प्रस्तावित कार्यक्रम को भव्य और सफल बनाने की अपील की। राजस्व मंत्री हेमंत मीणा ने कहा कि अधिक से अधिक पात्र लोग सरकार की योजनाओं का लाभ लें और समाज के अंतिम व्यक्ति तक योजनाएं पहुँचाने और उनका उत्थान करने में सहयोग करें।




