
राज्य आवास विभाग ने निगरानी समिति गठित करने के दिए निर्देश
मुंबई। राज्य आवास विभाग ने स्लम पुनर्विकास प्राधिकरण (एसआरए) को निर्देश दिया है कि उसकी सभी पुनर्विकास योजनाओं में अब कम से कम 35 प्रतिशत क्षेत्र खुले स्थानों के रूप में आरक्षित किया जाए। इस नियम के अनुपालन की निगरानी के लिए विभाग ने एक विशेष समिति गठित करने का आदेश दिया है, जिसकी अगुवाई एक उप-मुख्य अभियंता करेंगे। यह कार्रवाई बॉम्बे हाईकोर्ट के उन आदेशों के पालन में की जा रही है, जिनमें कहा गया था कि एसआरए की हर पुनर्विकसित परियोजना में 65 प्रतिशत निर्माण क्षेत्र और शेष 35 प्रतिशत हिस्सा खुले स्थानों के रूप में रखा जाए। अदालत ने यह भी निर्देश दिया था कि इन क्षेत्रों को बाद में उद्यानों और हरित भूदृश्यों में विकसित किया जाए। सरकारी आदेश के अनुसार, अब एसआरए किसी भी नई परियोजना के लिए कार्यारंभ प्रमाणपत्र (Commencement Certificate) तभी जारी करेगा जब स्वीकृत योजना में 35 प्रतिशत खुले क्षेत्र का प्रावधान स्पष्ट रूप से दिखाया गया हो। इन खुले क्षेत्रों में बगीचे, पेड़-पौधे, फिटनेस ज़ोन, बच्चों के खेल के मैदान, पैदल पथ, बैठने की व्यवस्था, पेयजल और सीवेज प्रणाली जैसी सार्वजनिक सुविधाएँ विकसित की जाएँगी। विकासकर्ता इसके लिए एक रखरखाव निधि बनाएंगे और तीन वर्षों तक इन खुले स्थानों की देखभाल की जिम्मेदारी उन्हीं की होगी। निर्माण कार्य पूरा होने और अधिभोग प्रमाणपत्र (Occupancy Certificate) प्राप्त होने के बाद, 90 दिनों के भीतर ये खुले क्षेत्र बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) या संबंधित स्थानीय निकाय को सौंपे जाएँगे। इसके बाद इन उद्यानों का रखरखाव और देखभाल स्थानीय प्रशासन के अधीन रहेगी, तथा सभी नागरिकों के लिए इनका प्रवेश निःशुल्क और खुला रहेगा।
एसआरए को हाईकोर्ट में एक हलफनामा भी दाखिल करना होगा, जिसमें स्वीकृत योजनाओं की सूची, खुले क्षेत्रों के विकास की शर्तें, विस्तृत विवरण और प्रगति रिपोर्ट शामिल होगी। सरकारी सूत्रों के अनुसार, यह निर्णय मुंबई समेत राज्य के अन्य शहरी क्षेत्रों में स्लम पुनर्विकास योजनाओं को अधिक पर्यावरण-संतुलित और नागरिक-अनुकूल मॉडल के रूप में विकसित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।