
मुंबई। महाराष्ट्र में एक सनसनीखेज हनी ट्रैप कांड ने राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में हलचल मचा दी है। इस मामले में कई वर्तमान और पूर्व मंत्री, वरिष्ठ नौकरशाह और उच्च पदस्थ अधिकारी शक के घेरे में हैं। इसमें नासिक के एक अतिरिक्त जिला कलेक्टर स्तर के अधिकारी का नाम भी प्रमुखता से सामने आया है। विशेष जांच दल (एसआईटी) ने इस मामले की तह में जाने के लिए शनिवार को एक ऐसे होटल पर छापा मारा, जो एक पूर्व कांग्रेस नेता से जुड़ा बताया जा रहा है। यह होटल हनी ट्रैप रैकेट की गतिविधियों का मुख्य केंद्र माना जा रहा है। इस पूरे मामले की जड़ें मुंबई में दर्ज आपराधिक मामलों से जुड़ी हैं, जहां जामनेर (जलगांव) के पाहुर गांव के निवासी प्रफुल्ल रायचंद लोढ़ा को साकीनाका से गिरफ्तार किया गया था। उनके खिलाफ POCSO एक्ट, बलात्कार, जबरन वसूली और धोखाधड़ी जैसी गंभीर धाराओं में 3 जुलाई को साकीनाका पुलिस स्टेशन तथा 14 जुलाई को अंधेरी MIDC में मामले दर्ज किए गए थे। उन्हें 5 जुलाई को हिरासत में लिया गया। एसआईटी जांच में यह बात सामने आई कि लोढ़ा द्वारा एक हनी ट्रैप रैकेट चलाया जा रहा था, जिसमें 72 प्रमुख लोगों के नाम संभावित रूप से शामिल हैं। इनमें मंत्री, नौकरशाह, उद्योगपति और अन्य रसूखदार लोग हो सकते हैं। इन लोगों को फर्जी वीडियो और यौन संबंधों में फंसाकर ब्लैकमेल किया गया, और भारी रकम ऐंठी गई। जांच में जलगांव, जामनेर और पहुर में छापेमारी कर लोढ़ा की संपत्ति और वित्तीय लेनदेन की गहन पड़ताल की गई। बंद कमरे में कई रसूखदारों के बयान भी लिए गए। छापेमारी में एसआईटी को एक लैपटॉप, दो पेन ड्राइव और अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस मिले हैं, जिनमें कई आपत्तिजनक वीडियो और दस्तावेज़ होने की आशंका है। लोढ़ा की पहचान कभी स्वास्थ्य स्वयंसेवक के रूप में थी, लेकिन अब माना जा रहा है कि वह एक वरिष्ठ राजनेता का करीबी था। एसआईटी ने नासिक के एक होटल का भी निरीक्षण किया, जिसे हनी ट्रैप ऑपरेशन का केंद्र बताया जा रहा है। स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, इसी होटल में कई हाई-प्रोफाइल मीटिंग्स हुई थीं। हालांकि पुलिस अधिकारियों ने अब तक इन गतिविधियों की पुष्टि नहीं की है। इस मामले में “गोल्डन गैंग” नामक एक नेटवर्क भी चर्चा में है, जो नौकरशाहों और राजनेताओं के साथ सौदेबाजी के लिए कुख्यात है। एक चौंकाने वाली घटना में नासिक के एक अतिरिक्त जिला कलेक्टर स्तर के अधिकारी को एक होटल में बुलाकर फंसाया गया और फिर उनसे करोड़ों रुपये की मांग की गई। बाद में अधिकारी के खिलाफ एक महिला ने शिकायत दर्ज कराई, जिसे उसने बाद में वापस ले लिया। इसी तरह, इस मामले से जुड़े दो अन्य व्यक्तियों ने ठाणे में शिकायत दी, लेकिन आपसी समझौते के बाद उन्हें भी वापस ले लिया गया। हालांकि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इस पूरे प्रकरण को खारिज करते हुए कहा है कि “न कोई हनी ट्रैप है, न कोई जाल।” लेकिन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने उनके इस बयान पर नाराज़गी जताते हुए कहा कि सरकार सच्चाई को छिपाने की कोशिश कर रही है और एसआईटी जांच की निष्पक्षता को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। फिलहाल एसआईटी इस पूरे मामले की गहराई से जांच कर रही है, और यह देखना अहम होगा कि इस हाई-प्रोफाइल षड्यंत्र में और कौन-कौन से नाम सामने आते हैं। यदि इन आरोपों की पुष्टि होती है, तो यह मामला महाराष्ट्र की प्रशासनिक और राजनीतिक साख पर बड़ा सवाल बन सकता है।