
गुवाहाटी:(Guwahati) भारत की अनुसूचित जनजातियों (SCs) की मूल भाषा, धर्म, संस्कृति और रीति-रिवाजों की संवैधानिक रूप से रक्षा करने और धर्मांतरण को रोकने की मांग हुई है। बुधवार को अपनी इस मांग के संदर्भ में जनजाति सुरक्षा मंच और भारत एवं जनजाति धर्म-संस्कृति सुरक्षा मंच ने राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया के जरिए एक ज्ञापन राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को प्रेषित किया है।
संगठन ने बयान जारी कर कहा कि जनजाति सुरक्षा मंच और भारत और जनजाति धर्म-संस्कृति सुरक्षा मंच पिछले 18 वर्ष से आदिवासी लोगों के अस्तित्व पर खतरे की संवैधानिक रूप से रक्षा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। धर्म परिवर्तन कराने वालों से अनुसूचित जनजातियों की मूल भाषा, धर्म, संस्कृति और पारंपरिक रीति-रिवाजों की संवैधानिक रूप से रक्षा कर रहे हैं। इस बीच, भारत के आठ राज्यों- मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, गुजरात और असम की राजधानियों में विशाल जनजातीय सामूहिक सभाओं का आयोजन किया गया है।
विज्ञप्ति में बताया गया कि आगामी 18 जून को राजस्थान में एक रैली आयोजित की जाएगी एवं अन्य 14 राज्यों में भी इस तरह की तैयारी चल रही है। इस संबंध में 26 मार्च को गुवाहाटी स्थित खानापारा खेल मैदान पर “चलो दिसपुर” नामक विशाल जनजाति सामूहिक सभा की गई थी।
इस आंदोलन के एजेंडे के अनुसार दोनों संगठनों ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को अपनी मांगों को लेकर एक ज्ञापन भेजा है। इनकी मांगों में अनुच्छेद 342 (एसटी) में संशोधन करके और उन्हें अनुच्छेद 341 (एससी) के साथ तुलना करके धर्मांतरित हुए एसटी लोगों का नाम एसटी सूची से हटाना शामिल है।