
मुंबई। राज्य सरकार किसानों को सौर ऊर्जा आधारित कृषि पंप प्रदान करने पर विशेष जोर दे रही है, लेकिन जिन स्थानों पर भूगोलिक परिस्थितियों के चलते सौर पंप लगाना संभव नहीं है, वहां पारंपरिक कृषि पंपों के विकल्प पर भी विचार किया जाएगा। यह जानकारी महाराष्ट्र की ऊर्जा राज्य मंत्री श्रीमती साकोरे-बोर्डीकर ने विधानसभा में आधे घंटे की चर्चा के दौरान दी।विधानसभा सदस्य सुधीर मुनगंटीवार ने चंद्रपुर जिले में किसानों द्वारा सीआरआई कंपनी के सौर पंपों को लेकर की गई शिकायतों का मुद्दा उठाया था, जिस पर चर्चा में सदस्य शेखर निकम ने भी भाग लिया। जवाब में मंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2030 तक देश की 50% बिजली गैर-पारंपरिक स्रोतों से उत्पन्न करने का लक्ष्य रखा है और इसी दिशा में राज्य सरकार सौर ऊर्जा को बढ़ावा दे रही है। इसके अंतर्गत किसानों को सब्सिडी के साथ सौर पंप मुहैया कराए जा रहे हैं। मंत्री ने कहा कि चंद्रपुर जिले में सौर पंपों को लेकर सामने आई समस्याओं को गंभीरता से लिया गया है। सीआरआई कंपनी द्वारा स्थापित सौर पंपों को लेकर कुल 544 शिकायतें दर्ज की गई थीं, जिनमें से 542 का समाधान कर दिया गया है, जबकि शेष दो शिकायतें जलस्रोत के सूखने के कारण अनसुलझी रह गई हैं। शिकायतों के मद्देनजर कंपनी पर 13 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। जहां जलस्तर कम है, वहां किसानों को राहत देने के लिए बूस्टर पंप लगाए जा रहे हैं ताकि नदियों और अन्य जलस्रोतों से पानी खेतों तक पहुंचाया जा सके। साथ ही, कृषि पंपों के बिजली कनेक्शन के लिए शीघ्र ही एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की जाएगी, जिसमें सकारात्मक निर्णय की संभावना है। मंत्री के वक्तव्य से स्पष्ट है कि सरकार किसानों की समस्याओं को गंभीरता से लेकर सौर ऊर्जा की दिशा में आगे बढ़ने के साथ-साथ व्यावहारिक समाधान भी सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।