Friday, November 22, 2024
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संपादकीय:- राहुल गांधी की केदारनाथ यात्रा!

धर्म और अध्यात्म व्यक्तिगत होता है। किसी की धार्मिक यात्रा का मज़ाक उड़ाना किसी दूसरे के द्वारा उचित नहीं कहा जा सकता। सारे नेता कभी मंदिर जाकर मूर्ति पूजा और अनुष्ठान करते हैं। मस्जिद में जाकर सजदा करते हैं। गुरुद्वारे में जाकर साफ सफाई यहां तक जूतों के भी सार सम्हाल करते हैं। कोई मजार पर तामझाम के साथ जाकर चादर चढ़ाते हैं। इसमें राजनीति भी साधी जाती है। वास्तव में धर्म कर्म भी किया जाता है। लेकिन पता नहीं क्यों दूसरे दल वाले उसमें भी राजनीति करने लगते हैं। ऐसी ही एक यात्रा राहुल गांधी ने भी की। धार्मिक है या राजनीतिक बीजेपी को उस वीडियो में छेड़छाड़ कर वायरल करने की क्या जरूरत? विडियो में साफ दिखता है कि राहुल गांधी केदार नाथ गए। मंदिर में दर्शन अर्चन किया और बाहर आने पर वहां एकत्र युवा शिव भक्तों को अपने हाथों से चाय पिलाई। राहुल गांधी जिंदाबाद और हमारा नेता कैसा हो, राहुल गांधी जैसा हो। राहुल गांधी वही अपने चिर परिचित अंदाज में लोगों से गले लगते रहे।बतियाते रहे। सच उनकी सादगी और भोला भाला अंदाज वहां उपस्थित जनों के हृदय में अपना खास स्थान बना रहा था।लोग अचंभित थे। इतना बड़ा कांग्रेसी नेता जिसे बीजेपी पप्पू कहकर बदनाम करने की साजिश करती रही। एक सफेद टी शर्ट में चार हजार किलोमीटर भारत जोड़ों यात्रा में पैदल चलते हुए। गरीब मजदूर किसानों युवाओं की बातें सरलता से सुनते हुए। प्रेमपूर्ण व्यवहार से आम जनों का दिल मोहते रहे। लोगों को उनमें अपने पन का एहसास होता रहा। जलते या जलाए जाते मणिपुर पर सरकार तीन महीने मौन साधे रही लेकिन जब एक वीडियो वायरल हुआ तो उसकी टाइमिंग पर बीजेपी सवाल उठाती रही। कभी मनीपुर की समस्या का सर्ववमान्य हल निकालने की कोशिश ही नहीं की। सरकार की मंशा मणिपुर मामले को ठंडे बस्ते में डालने और देश के सामने आने से रोकने की थी। लोकसभा में राहुल गांधी ने जिस अंदाज में मणिपुर वालों की पीड़ा बताई लोग ध्यान से सुनते और गुनने लगे थे। राहुल गांधी ने जिस तरह सरकार के रोकने के बावजूद मणिपुर के प्रभावित लोगों के ज़ख्मों पर मरहम लगाने की कोशिशें की वह स्तुत्य रहा। वही राहुल जिनकी संसद सदस्यता रद्द कर खुश होती बीजेपी उनसे माफी मांगने की मांग करती रही लेकिन राहुल ने जिस बेबाकी से कहा, में माफी नहीं मागूंगा। मैं राहुल सावरकर नहीं राहुल गांधी हूं और गांधी माफ़ी नहीं मांगते।परोक्ष रूप से उन्होंने इशारे इशारे में महात्मा गांधी को चित्रित किया जिन्होंने जेल जाना स्वीकार किया लेकिन अंग्रेजों से माफी मांगने से इंकार कर दिया था। उसी राहुल गांधी ने अपने करिश्माई व्यक्तित्व का परिचय बीजेपी सरकार की तमाम शक्ति के सामने हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में विजय दिलाई, सिद्ध कर दिया कि विलक्षण प्रतिभा के धनी हैं। उनकी केदार नाथ यात्रा के वीडियो को बीजेपी के टूल किट गिरोह सरगना ने वीडियो के साथ छेड़छाड़ कर बीच में मोदी, मोदी के नारे जोड़ कर चरण चुम्बक होने का प्रमाण दिया। भला हो उन पत्रकारों का जिनका जमीर अभी तक मरा नहीं भले उनके यहां सीबीआई और ईडी ने छापेमारी कर डराने की कोशिश की। जनता के सामने दोनो वीडियो यू ट्यूब पर दिखला दिया। यहां सवाल यह उठता है कि पीएम मोदी मस्जिद में जाकर सजदा करते हैं।बैठकें करते हैं। मजार पर लाव लश्कर के साथ जाकर चादर चढ़ाते हैं लेकिन कभी कांग्रेस ने इतनी ओछी हरकत नहीं की। शायद बीजेपी राहुल गांधी की बढ़ती पॉपुलैरिटी से परेशान होकर फेक वीडियो जारी करने में महारत हासिल कर ली हो।

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