
मुंबई। 1 अप्रैल को महाराष्ट्र सरकार ने पर्यावरण के अनुकूल शहरी गतिशीलता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक नई ई-बाइक टैक्सी नीति को मंजूरी दी, जो राज्य के उन शहरों में लागू होगी जिनकी जनसंख्या एक लाख से अधिक है, जैसे कि मुंबई और अन्य घनी आबादी वाले क्षेत्र। इस नीति के तहत ई-बाइक टैक्सियाँ जल्द ही महाराष्ट्र की सड़कों पर आम दृश्य बन सकती हैं। प्रारंभ में इन टैक्सियों को अधिकतम 15 किलोमीटर की दूरी तय करने की अनुमति होगी और सेवा शुरू करने के लिए इच्छुक उद्यमियों के पास कम से कम 50 इलेक्ट्रिक मोटरसाइकिलों का बेड़ा होना अनिवार्य होगा। सुरक्षा के लिहाज़ से बाइक में सवारियों के बीच भौतिक अवरोध और बारिश से बचाव हेतु छत का होना ज़रूरी होगा, जिसके बाद ही उन्हें संचालन हेतु परमिट दिया जाएगा। हालांकि यह नीति शहरी वायु प्रदूषण को कम करने और किफायती परिवहन सुविधा उपलब्ध कराने की दिशा में अहम कदम मानी जा रही है, परंतु विशेषज्ञों ने इसकी कुछ चुनौतियों की ओर भी इशारा किया है। ओडिसी इलेक्ट्रिक व्हीकल्स प्रा. लि. के सीईओ नेमिन वोरा के अनुसार, कम गति वाली ई-बाइक टैक्सियाँ मेट्रो शहरों में ट्रैफिक भीड़ का कारण बन सकती हैं और चार्जिंग तथा बैटरी-स्वैपिंग सुविधाओं की कमी इसकी गति पर असर डाल सकती है। वहीं न्यूरॉन एनर्जी के सीईओ प्रतीक कामदार ने यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ड्राइवरों की पृष्ठभूमि की जांच, नियमित रखरखाव, और टैक्सियों की संख्या के विनियमन की आवश्यकता पर बल दिया। इसके अलावा, मौजूदा सार्वजनिक परिवहन के साथ ई-बाइक टैक्सियों का समन्वय और पारंपरिक टैक्सी व ऑटो यूनियनों के साथ संवाद भी आवश्यक होगा। इन चुनौतियों के बावजूद, नीति को वायु गुणवत्ता सुधारने, चार-पहिया वाहनों पर निर्भरता घटाने, ट्रैफिक कम करने और एक हरित भविष्य की ओर बढ़ने के रूप में देखा जा रहा है। इसके साथ ही यह नीति राज्य में रोज़गार के नए अवसर भी लेकर आएगी- जहां अकेले मुंबई में 10,000 से अधिक नौकरियाँ और अन्य शहरों में भी हज़ारों नौकरियों के सृजन की संभावना है।