ड्रग्स का कारोबार भारत में नया नहीं है। अफगानिस्तान सबसे बड़ा ड्रग्स निर्माता है। अडानी के मुद्रा गुजरात पोर्ट पर तीन तीन बार हजारों करोड़ रुपए मूल्य के ड्रग्स पकड़ी गई लेकिन देश के समाचार पत्रों और इलेक्ट्रोनिक मीडिया में कोई हलचल नहीं मची। गुजरात में ड्रग्स रिफाइंड के कई कारखाने लगे होने और पड़ोसी राज्यों खासकर महाराष्ट्र गोवा मध्यप्रदेश में ड्रग्स भेजने की खबरें समाचार पत्रों में आती रही हैं। अब पश्चिमी भारत से यह ड्रग्स कारोबार सुदूर उत्तरी पूर्वी राज्य मणिपुर तक जा पहुंचा है जिसमे खबर है कि चार कमांडो वर्दी में और पुलिस की गाड़ी में करोड़ों रुपए मूल्य की बेहतरीन क्वालिटी की हेरोइन ले जाते पकड़े गए। उन्हें निलंबित किया जा चुका है।भाजपा और कांग्रेस आमने सामने एक दूसरे पर दोषारोपण करने में व्यस्त हैं। ड्रग्स की चिंता में नहीं दिखता कोई। बस आरोप प्रत्यारोप का बाजार गर्म है।
बताया जाता है कि ड्रग्स रैकेट अफगानिस्तान से भारत वाया पाकिस्तान होकर आता है। भारत का भगोड़ा डॉन दाऊद इब्राहिम के कंट्रोल मे ड्रग्स बाहर भेजा जाता है। ड्रग्स कारोबार से दाऊद को कितना फायदा पहुंचता होगा इसका जायजा दाऊद द्वारा पाकिस्तान को सौ करोड़ दिए जाते हैं जिसकी ऐवज में दाऊद को पाकिस्तानी सेना की सुरक्षा में पनाह दी गई है। पाकिस्तान से रोड मार्ग से पंजाब पहुंचाते हैं। पंजाब में ड्रग्स कारोबार को लेकर हमेशा चिंता की खबरें आती रही हैं। समुद्री रास्ते से गुजरात के समुद्र किनारे अदानी के मुद्रा पोर्ट पर हजारों करोड़ की ड्रग्स पकड़ी जाना प्रमाण है। संभव है ड्रग्स का वह छोटा हिस्सा हो जो पकड़ा जाता है। बहुत बड़ा हिस्सा ड्रग्स के बड़े कारोबारियों के पास चला जाता होगा। कुछ समय पूर्व कयास लगाया गया था कि गुजरात ड्रग्स का सबसे बड़ा कारोबारी है क्योंकि उस समय खबर आई थी कि गुजरात से ड्रग्स पड़ोसी राज्यों महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, राजस्थान, गोवा जैसे राज्यों में भेजा जाता है।इन पड़ोसी राज्यों में ड्रग्स की लत खासकर युवकों और युवतियों को पड़ चुकी है। कॉलेज के आसपास ड्रग्स पैडलर्स जाल बिछाए रखते हैं और ड्रग्स कालेज में पढ़ने वाले युवकों और युवतियों तक सप्लाई होता है।
अब सुदूर पूर्वोत्तर राज्यों को भी ड्रग्स ने अपने घेरे में ले लिया है। रक्षकों यानी कमांडोज के द्वारा सरकारी गाड़ी में इसलिए करोड़ों मूल्य की विशिष्ट हीरोइन पकड़ लिया जाना बेशक चिंता का विषय होना चाहिए। देश की सरकारें इस विषय में तनिक भी चिंतित नहीं दिखती। किसी भी राष्ट्र की उन्नति खत्म करने के दो रास्ते हैं। पहला युवकों युवतियों को
ड्रग्स का आदती बना दो जिससे उनका मस्तिष्क कुंद हो जाए।नशा नहीं मिलने पर आदतियों की हालत जल बिन मछली जैसा होता है। ड्रग्स का समय होते ही युवा विक्षिप्तों जैसा व्यवहार करने लगते हैं। जिस देश का युवा ड्रग्स का आदती हो जाए उस देश का रक्षक सिर्फ भगवान ही होता है। दूसरा देश की जनता को धर्म रूपी अफीम चटाते रहो।जनता गुलाम बन जाएगी। इसीलिए हिंदू मुस्लिमों के बीच गहरी दरार कर दो। अविश्वास का भाव जगा दो।फिर तो गुलाम की तरह सरकार की वाहवाही करने लगेगी जनता। एक बात तय है कि अफगानिस्तान से इंडिया वाया पाकिस्तान ड्रग्स लाने उसे जरूरत मंडन खासकर युवकों तक पहुंचाने का काम बिना सरकारी एजेंसियों और पुलिस के असंभव है। ड्रग्स पर पूरी तरह रोक लगाना होगा हमारी आगामी पीढ़ी को ड्रग्स का आदती बनने से रोकने के लिए लेकिन सरकारें और पुलिस रोकना चाहेंगी तब न। कमीशन में मोटी रकम कौन नहीं पाना चाहता खासकर ऐसे देश में जिसकी रगों में भ्रष्टाचार खून बनकर बह रहा हो। इच्छाशक्ति जरूरी है जो स्वहित देखने वाली सरकार और पुलिस में है ही नहीं।