किन्नर दिवस पर श्री महाशक्ति चैरिटेबल ट्रस्ट का अनूठा आयोजन
मुंबई। किन्नरों को देखकर आप हंसे नहीं। उनका उपहास न करें। उनका मजाक न उड़ाएं। वह अपने जीवन यापन के लिए इसी समाज पर निर्भर हैं। जैसे आप अंधों को अंधा न कहें, लंगड़े को लंगड़ा न कहें, उसी तरह से किन्नरों को भी हिकारत की नजर से न देखें। वे भी इसी समाज का अंग हैं। शिव को अर्धनारीश्वर कहा गया। अर्जुन को भी अज्ञातवास का एक साल बृहंन्नला (किन्नर) के रूप में बिताना पड़ा था। कृष्ण को अहिरावण से शादी करने के लिए किन्नर बनना पड़ा। लेकिन शादी के दूसरे दिन अहिरावण की बलि के बाद जब वह विधवा हो गये तो फूट – फूट कर रोने लगे।” यह बात मीरा रोड स्थित विरूंगला केन्द्र में किन्नर दिवस मना रहे किन्नरों और नरों के बीच श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर हिमांगी सखी ने कही। किन्नर दिवस वर्ष के छठें महीने के छठवें दिन शाम छह बजे प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है। यह बात श्री महाशक्ति चैरिटेबल ट्रस्ट की सदस्य रेखा त्रिपाठी ने कही। स्वर संगम फाउंडेशन के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम में मुंबई और आस पास से पच्चास से भी अधिक किन्नर उपस्थित हुए। महामंडलेश्वर हिमांगी सखी के जाने के बाद भी किन्नरों का समूह विरूंगला केन्द्र पहुंचता रहा। रात के साढ़े नौ बजे हॉल किन्नरों से भर गया। इस अवसर पर कुछ किन्नरों ने नृत्य प्रस्तुत कर उपस्थित जन को भाव विभोर कर दिया। नृत्य में किन्नरों की कुशलता पर विश्वास नही हो रहा था। वे रूप व सौंदर्य के इतने धनी होते हैं, यह उन लोगों ने देखा जो आयोजन में देर तक रुके रहे। सिनेमा और सीरियल में भी वह काम करके अपनी रोजी रोटी कमा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से उन्हें कानूनी अधिकार तो प्राप्त हो गये हैं और भारतीय संविधान द्वारा अनूसूचित जाति को मिलने वाला आरक्षण भी दे दिया गया है लेकिन इस कानूनी अधिकार का व्यवहारिक रूप तभी दिखाई देगा, जब नौकरियां पाने के लिए उनके पास न्यूनतम योग्यता होगी और न्यूनतम योग्यता हासिल करने के लिए उनके लिए शिक्षा की व्यवस्था होगी। यही उनके जीवन की सबसे बड़ी चुनौती है। शिक्षा के अभाव में भिक्षा मांगकर जीवन यापन करने के लिए वे विवश होते हैं। उन्हें शिक्षा दिलाने के लिए ही वसई में श्री महाशक्ति चैरिटेबल ट्रस्ट ने विद्यालय खोला है। किन्नरों की दुनिया में ऊंचाई प्राप्त करने वाली हिमांगी सखी ने अपने जीवन के संघर्षों को याद किया और बताया कि उनका बचपन मीरा रोड के सेक्टर नौ में बीता है। आज वह अपनी पढ़ाई के बल पर किन्नरों की दुनिया में बहुत आगे निकल चुकी हैं। इस अवसर पर महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डॉ. शीतला प्रसाद दुबे ने किन्नरों के जीवन और संघर्ष पर आधारित उपन्यास को हिंदी साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत किए जाने का उल्लेख किया और उम्मीद जताई कि आने वाले समय में उनके जीवन स्तर को सुधारने में सहयोग मिलेगा। हिमांगी सखी द्वारा किन्नरों की उत्पत्ति का आध्यात्मिक वक्तव्य के बाद जब राकेश दुबे ने उनके जीवन के विषय में हरिप्रसाद राय के हवाले से बताना शुरू किया और बनारस में ज्ञानवापी स्थित शिवलिंग पर जलाभिषेक का प्रसंग शुरू किया तो उन्होंने माइक लेकर खुद उस विषय पर अपनी बात रखी और बताया कि किस तरह पुलिस ने उन्हें अगवा कर लिया था और किस तरह उन्होंने जलाभिषेक किया। कार्यक्रम में शैलेश सिंह, वरिष्ठ पत्रकार राकेश शर्मा, अरुण उपाध्याय, गुलाब यादव, मानिकचंद गुप्ता समेत बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ. मीना राजपूत, दीपक जैन और मानिकचंद गुप्ता की विशेष भूमिका रही। संचालन राकेश दुबे ने किया।