
मुंबई (Difference between Rudraksha and Bhadraksha): हिंदू धर्म में रुद्राक्ष को बहुत महत्व और विशेष महत्व दिया गया है। मान्यता के अनुसार रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से हुई है। ऐसा माना जाता है कि जो भी व्यक्ति रुद्राक्ष धारण करता है उसके अशुभ ग्रह सफल और शुभ परिणाम देने लगते हैं। गले में रुद्राक्ष पहनने से हृदय रोग, तनाव, चिंता, रक्तचाप नियंत्रित रहता है, लेकिन आजकल रुद्राक्ष के बढ़ते प्रभाव के कारण लोग आस्था के नाम पर खिलवाड़ कर रहे हैं। जालसाज रुद्राक्ष के नाम पर भद्राक्ष बेचकर देशवासियों को धोखा दे रहे हैं। भोपाल निवासी ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा बता रहे हैं कि असली और नकली रुद्राक्ष की पहचान कैसे करें।
रुद्राक्ष की असली और नकली किस्में
पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा के अनुसार वैज्ञानिक परीक्षण के बाद इलियोकार्पस गैनिट्रस प्रजाति को शुद्ध रुद्राक्ष और इलियोकार्पस लैकुनोसस को नकली प्रजाति माना गया है। वर्तमान में भारतीय बाजार में प्लास्टिक और फाइबर से बने रुद्राक्ष भी बिक रहे हैं। कई व्यापारी लकड़ी से बने रुद्राक्षों को नया आकार देकर या टूटे हुए रुद्राक्षों को जोड़कर नए रुद्राक्ष बनाकर बाजार में बेच रहे हैं।
इस प्रकार रुद्राक्ष और भद्राक्ष में अंतर बताएं
असली रुद्राक्ष में प्राकृतिक रूप से छेद होते हैं। जबकि भद्राक्ष को छेदकर उसे रुद्राक्ष का रूप दिया जाता है।
दरअसल रुद्राक्ष को सरसों के तेल में डुबाने से उसका रंग नहीं बिगड़ता। जबकि नकली रुद्राक्ष अपना रंग खो देता है.
असली रुद्राक्ष पानी में डालने पर डूब जाता है। जबकि नकली रुद्राक्ष पानी के ऊपर तैरता है।
असली रुद्राक्ष की पहचान करने के लिए यदि उसे किसी नुकीली चीज से कुरेदने पर धागा निकलता है तो वह असली रुद्राक्ष है।