
मुंबई। महाराष्ट्र की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण को लेकर उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने बड़ा बयान दिया है। बीड जिले का यादवकालीन कंकालेश्वर मंदिर और सतारा जिले के औंध स्थित श्री भवानी संग्रहालय एवं पुस्तकालय को संरक्षित और विकसित करने के लिए सरकार ने करोड़ों रुपये की निधि मंजूर की है। बुधवार को उपमुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि इन परियोजनाओं के कार्य गुणवत्तापूर्ण, विरासतपूर्ण और पर्यावरणीय संतुलन को ध्यान में रखकर किए जाएँ।
बैठक में लिए गए निर्णय
मंत्रालय स्थित उपमुख्यमंत्री कार्यालय के समिति कक्ष में आयोजित बैठक की अध्यक्षता अजीत पवार ने की। बैठक में सांस्कृतिक कार्य मंत्री एडवोकेट आशीष शेलार, वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ओ.पी. गुप्ता, योजना विभाग के प्रधान सचिव सौरभ विजय, सांस्कृतिक कार्य विभाग की सचिव किरण कुलकर्णी, पुरातत्व विभाग के निदेशक तेजस गर्गे, लोक निर्माण विभाग के सचिव आबासाहेब नागरगोजे, बीड के जिला कलेक्टर विवेक जॉनसन तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। पुणे लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता राजेंद्र रहाणे वीडियो कॉन्फ्रेंस से जुड़े।
कंकालेश्वर मंदिर का संरक्षण
उपमुख्यमंत्री पवार ने बताया कि 12वीं शताब्दी के यादवकालीन कंकालेश्वर मंदिर के संरक्षण और मरम्मत के लिए 9 करोड़ 14 लाख रुपये की निधि स्वीकृत की गई है। जलाशय में स्थित इस स्थापत्य कला से परिपूर्ण मंदिर को संरक्षित करने के साथ-साथ परिसर का सौंदर्यीकरण, सरोवर से गाद निकालना, पैदल मार्गों की मरम्मत, मंदिर की नींव को मजबूत करना, रिसाव निवारण योजना, उद्यानों और बागों का विकास जैसे कार्य किए जाएंगे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस मंदिर के संरक्षण के लिए धन की कोई कमी नहीं होगी।
औंध संग्रहालय और पुस्तकालय का विकास
सातारा जिले के औंध में स्थित श्री भवानी संग्रहालय एवं पुस्तकालय को महाराष्ट्र की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के रूप में विशेष महत्व प्राप्त है। इसकी स्थापना औंध संस्थान के शासक बालासाहेब पंतप्रतिनिधि ने की थी। संग्रहालय में विश्व प्रसिद्ध चित्रकारों की कलाकृतियाँ, मूर्तियाँ, दुर्लभ पुस्तकें और प्राचीन वस्तुएँ संरक्षित हैं, जो शोधकर्ताओं, विद्वानों और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है।
इसके व्यापक विकास के लिए 52 करोड़ 6 लाख रुपये की निधि स्वीकृत की गई है। इस योजना में भवन का संरक्षण, नव-निर्माण, आंतरिक हॉल का निर्माण तथा चित्रों, मूर्तियों और पुस्तकों के संरक्षण जैसे कार्य शामिल हैं।
पर्यावरण और गुणवत्ता पर जोर
अजीत पवार ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि इन स्मारकों के संरक्षण कार्यों के दौरान गुणवत्ता में कोई समझौता न हो। विशेष रूप से यह सुनिश्चित किया जाए कि कार्यों के चलते स्मारकों के आसपास मौजूद किसी भी पेड़ को नुकसान न पहुँचे। कंकालेश्वर मंदिर और औंध संग्रहालय महाराष्ट्र की अमूल्य धरोहर हैं। सरकार ने इनके संरक्षण और विकास के लिए पर्याप्त बजट उपलब्ध कराया है। अब जिम्मेदारी अधिकारियों की है कि वे उच्च गुणवत्ता और पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखते हुए इन कार्यों को पूरा करें, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ इस विरासत को गर्व के साथ देख सकें।