ठाणे। महाराष्ट्र में ठाणे की एक अदालत ने अपनी सहजीवन साथी के साथ कथित दुष्कर्म के आरोप में मुकदमे का सामना कर रहे 39 वर्षीय जिम ट्रेनर को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है। अतिरिक्त सत्र अदालत के न्यायाधीश ए एस भागवत ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपी के खिलाफ दुष्कर्म और अप्राकृतिक अपराध के आरोपों को साबित करने में विफल रहा। अभियोजन ने अदालत को बताया कि एक जिम में काम करने वाला आरोपी और महिला सहजीवन साथी (लिव-इन पार्टनर) थे। उनके जनवरी 2012 से 2013 तक शारीरिक संबंध रहे। हालांकि, उनके रिश्तों में तब तल्खी आयी जब आरोपी ने पीड़ित को कथित तौर पर धमकी दी, उसके नाम से एक फर्जी फेसबुक अकाउंट बनाया और उसकी आपत्तिजनक तस्वीरें पोस्ट कर दी। महिला द्वारा दर्ज करायी गई प्राथमिकी के आधार पर अभियोजन पक्ष ने मामले में एक आरोपपत्र दाखिल किया लेकिन पीड़िता अदालत में बयान दर्ज कराने नहीं आयी। मामले की सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि पीड़िता न्यू जर्सी चली गयी है और वह गवाही देने के लिए नहीं आ सकती। उसके पिता ने भी अदालत को बताया कि शिकायतकर्ता गवाही के लिए उपलब्ध नहीं है और वे मामले को आगे बढ़ाना नहीं चाहते। इन सभी तथ्यों पर गौर करते हुए अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपी के खिलाफ आरोप साबित करने में नाकाम रहा है। न्यायाधीश ने कहा कि आरोपी को संदेह का लाभ दिया जाता है और सभी आरोपों से बरी किया जाता है।