
एर्नाकुलम। केंद्र सरकार द्वारा पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण (E20 पेट्रोल) को अनिवार्य करने के फैसले के बाद केरल में वाहन मालिकों ने इसका विरोध तेज कर दिया है। एसोसिएशन ऑफ व्हीकल ओनर्स केरल (AVOK) ने इस नीति के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में नई याचिका दायर करने का फैसला किया है। उनका आरोप है कि यह कदम उपभोक्ताओं के साथ धोखा है और इससे मौजूदा वाहनों में गंभीर तकनीकी और सुरक्षा समस्याएं पैदा होंगी। वाहन मालिकों का कहना है कि सरकार पेट्रोल की पूरी कीमत वसूल रही है लेकिन उसमें 20 प्रतिशत इथेनॉल मिलाकर दे रही है, जिससे माइलेज घटता है, ईंधन रिसाव की संभावना बढ़ती है और आग लगने का खतरा भी बढ़ जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, इथेनॉल रबर सील और पाइप को नुकसान पहुंचाता है और नमी सोखने के कारण इंजन फिल्टर को भी प्रभावित करता है। उनका तर्क है कि 2023 के बाद बनी कुछ गाड़ियों को छोड़कर, अधिकांश मौजूदा वाहन E20 ईंधन के लिए डिज़ाइन नहीं किए गए हैं। केंद्र सरकार का कहना है कि यह नीति कार्बन उत्सर्जन घटाने, तेल आयात कम करने और कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए लाई गई है। मंत्रालय ने दावा किया है कि E20 पेट्रोल से होने वाला नुकसान न्यूनतम है और सुरक्षा मानकों को BIS तथा ऑटोमोटिव उद्योग मानकों के अनुरूप लागू किया जा चुका है। हालांकि, कुछ बीमा कंपनियों ने E20 से होने वाले संभावित नुकसान के लिए कवर देने से इनकार किया है, जिससे उपभोक्ताओं और सरकार के बीच कानूनी टकराव बढ़ सकता है। ब्राजील जैसे देशों में इथेनॉल पेट्रोल का विकल्प उपभोक्ताओं को दिया जाता है, लेकिन भारत में ऐसा कोई विकल्प उपलब्ध नहीं है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि इस ईंधन की कीमत कम की जाती तो उपभोक्ताओं पर इसका बोझ कम होता। फिलहाल, यह विवाद सुप्रीम कोर्ट में कानूनी लड़ाई का रूप लेने जा रहा है।