
नई दिल्ली। ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ की दिशा में सरकार ने पहला कदम उठा दिया है। दरअसल सरकार ने इसकी संभावनाओं पर विचार के लिए एक कमेटी का गठन किया है। इस कमेटी का अध्यक्ष पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को बनाया गया है। कमेटी के सदस्यों पर थोड़ी देर में नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा। हालांकि विपक्षी पार्टियों ने सरकार के इस कदम पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस ने सवाल किया है कि अभी इसकी क्या जरूरत है? पहले महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दों का निवारण होना चाहिए। केंद्र की बनाई कमेटी ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के प्रस्ताव से जुड़े कानूनी पहलुओं पर गौर करने के साथ ही आम लोगों की राय भी लेगी। इस बीच, भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा शुक्रवार को कोविंद से मिलने उनके आवास पर पहुंचे। हालांकि, इस मुलाकात के बारे में दोनों की तरफ से कोई जानकारी नहीं दी गई है।
सरकार की इस पहल पर लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि आखिर एक देश एक चुनाव की सरकार को अचानक जरूरत क्यों पड़ गई। वहीं कांग्रेस नेता और छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव ने कहा- व्यक्तिगत तौर पर मैं एक देश एक चुनाव का स्वागत करता हूं। यह नया नहीं, पुराना ही आइडिया है।
कांग्रेस के विरोध के बाद संसदीय कार्य मंत्री, प्रह्लाद जोशी ने कहा, अभी तो समिति बनी है, इतना घबराने की बात क्या है? समिति की रिपोर्ट आएगी, फिर पब्लिक डोमेन में चर्चा होगी। संसद में चर्चा होगी। बस समिति बनाई गई है, इसका अर्थ यह नहीं है कि यह कल से ही हो जाएगा। इधर, चिराग पासवान ने कहा, हमारी पार्टी ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ का समर्थन करती है। इसे लागू करना चाहिए।
आजादी के बाद लागू थी वन नेशन-वन इलेक्शन
वन नेशन-वन इलेक्शन या एक देश-एक चुनाव का मतलब हुआ कि पूरे देश में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ ही हों। आजादी के बाद १९५२, १९५७, १९६२ और १९६७ में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ ही होते थे, लेकिन १९६८ और १९६९ में कई विधानसभाएं समय से पहले भंग कर दी गईं। उसके बाद १९७० में लोकसभा भी भंग कर दी गई। इस वजह से एक देश-एक चुनाव की परंपरा टूट गई।
वन नेशन-वन इलेक्शन के समर्थन में पीएम मोदी
मई २०१४ में जब केंद्र में मोदी सरकार आई, तो कुछ समय बाद ही एक देश और एक चुनाव को लेकर बहस शुरू हो गई। पीएम मोदी खुद कई बार वन नेशन-वन इलेक्शन की वकालत कर चुके हैं। संविधान दिवस के मौके पर एक बार प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था- आज एक देश-एक चुनाव सिर्फ बहस का मुद्दा नहीं रहा। ये भारत की जरूरत है। इसलिए इस मसले पर गहन विचार-विमर्श और अध्ययन किया जाना चाहिए।