
पवन वर्मा
छत्तीसगढ़ देश का वह राज्य है, जिसे हम धान का कटोरा के नाम से जानते पहचानते रहे हैं। छत्तीसगढ़ का नाम लेते ही हमारी आंखों के सामने यहां के भोले भाले तीर कमान धारी आदिवासी ध्यान में आते थे। भोले भाले आदिवासियों का यह धान का कटोरा, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में अब विकास, विश्वास और परिवर्तन के नए युग में प्रवेश कर चुका है, और शांति तथा समृद्धि का नया अध्याय रचने के पथ पर अग्रसर है। अब यहां के युवा सिर्फ तीर कमान से ही अपनी और अपने आसपास के जीव जंतुओं की सुरक्षा ही नहीं कर रहे बल्कि कंप्यूटर और सूचना प्रोद्यौगिकी के क्षेत्र में भी अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। अब यह धान का कटोरा दलहन और तिलहन भी उगा रहा है तो बड़े बड़े उद्योगों में उन्नत माइक्रो चिप भी बना रहा है। राज्य गठन के समय और वर्तमान में उपलब्ध संसाधनों और उपलब्धियों की तुलना से स्पष्ट होता है कि छत्तीसगढ़ ने लगभग हर क्षेत्र में लंबी छलांग लगाई है। हम कृषि की ही बात करें तो सन् 2000 में (जब छत्तीसगढ़ अलग राज्य बना) यहां कुल उत्पादन 13.25 लाख मीट्रिक टन और सिंचाई का रकबा मात्र 1.32 लाख हेक्टेयर था। तब किसानों को सीमित सुविधाएँ ही उपलब्ध थी। अधिकांश कृषक केवल धान की फसल पर ही निर्भर थे। अब सन् 2025 (जब राज्य अपनी स्थापना की रजत जयंती मना रहा है।) में स्थितियां बदल चुकी हैं। आज यहां कुल कृषि उत्पादन 217.76 लाख मीट्रिक टन हो चुका है। सिंचित क्षेत्र 22.17 लाख हेक्टेयर तक बढ़ चुका है। इसी के परिणाम स्वरुप समर्थन मूल्य पर रिकॉर्ड धान खरीदी (145.25 लाख मीट्रिक टन) हुई है।कृषि आधारित उद्योग और प्रसंस्करण इकाइयों का भी भरपूर विकास हुआ है। जैविक खेती और दलहन-तिलहन को भरपूर प्रोत्साहन मिलने से किसानों का इन फसलों की ओर भी रुझान बढ़ रहा है। यह आँकड़े स्पष्ट रुप से बता रहे हैं कि राज्य की पहचान ‘‘धान का कटोरा’’ से आगे बढ़कर अब विविध कृषि उत्पादक राज्य के रूप में हो रही है। जब हम उद्योग धंधों की बात करते हैं तो यहां वर्ष 2000 में औद्योगिक निवेश मात्र 132 करोड़ रुपये था और उद्योगों की संख्या कुल संख्या 1365 थी लेकिन अब सन् 2025 में औद्योगिक निवेश 42.44 हजार करोड़ रुपये तक पहुँच चुका है। आज यहां पंजीकृत उद्योग बढ़कर 67,000 से भी अधिक हो चुके हैं। बीते कुछ ही दिनों में प्रदेश में 80 से अधिक प्रमुख निवेशक सम्मेलन हो चुके हैं। इनके जरिए प्रदेश ने इस्पात, खनिज और ऊर्जा आधारित उद्योगों में बड़ी छलांग लगाई है। ऊर्जा और आईटी सेक्टर में भी नए निवेश हो रहे हैं। यह परिवर्तन दर्शाता है कि छत्तीसगढ़ केवल खनिज और इस्पात उत्पादन तक सीमित नहीं रहा, बल्कि आईटी, सर्विस सेक्टर और हरित ऊर्जा में भी निवेश का नया गंतव्य बन गया है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी यदि हम सन् 2000 की स्थिति से तुलना करें तो तब यहां कुल 5,575 स्वास्थ्य संस्थानों में केवल 365 विशेषज्ञ चिकित्सक और महज 77 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र थे लेकिन आज सन् 2025 में 6,672 स्वास्थ्य संस्थानों में 1,317 विशेषज्ञ डॉक्टर हैं और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या भी बढ़कर 427 हो गयी है। अब राज्य में 38 जिला अस्पताल,17 मेडिकल कॉलेज और 6,239 उपस्वास्थ्य केंद्र हैं। इससे साफ होता है कि ‘हेल्थ फॉर ऑल’ का सपना अब हकीकत में बदल रहा है। मेडिकल कॉलेज और एम्स जैसे संस्थान राज्य को स्वास्थ्य के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना रहे हैं। शिक्षा के क्षेत्र में भी सन् 2000 के 52,049 शिक्षा संस्थान 2025 में बढ़कर 95,020 तथा उच्च शिक्षा संस्थान मात्र 249 से 1,352 तथा निजी विश्वविद्यालयों की संख्या भी छह से 15 हो गयी है। आईआईटी, आईआईएम, एनआईटी,एम्स,एनयूएल जैसे संस्थानों की स्थापना से छत्तीसगढ़ अब शैक्षणिक हब बनने की ओर अग्रसर है। जहाँ पहले बच्चे उच्च शिक्षा के लिए बाहर जाते थे, वहीं अब प्रदेश में ही राष्ट्रीय स्तर के संस्थानों से पढ़ाई का अवसर मिल रहा है। अब यहां सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों से लाखों लोगों को रोजगार मिल रहा है। स्टार्टअप नीति और निवेश से युवाओं को रोजगार के समुचित अवसर मिल रहे हैं। स्वरोजगार योजनाओं से ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक सशक्तिकरण हो रहा है। अब छत्तीसगढ़ ने विकास और विश्वास की दिशा में उल्लेखनीय कदम बढ़ाए हैं। जहाँ राज्य का जन्म संघर्ष और संसाधनों की कमी के साथ हुआ था, वहीं आज यह राज्य कृषि, उद्योग, शिक्षा, स्वास्थ्य और संस्कृति के क्षेत्र में नई पहचान बना रहा है। ‘‘हमर छत्तीसगढ़’’ का यह रजत महोत्सव केवल गौरवशाली अतीत की स्मृति नहीं है, बल्कि यह आने वाले स्वर्णिम भविष्य की नींव भी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में यह प्रदेश ‘‘शांति, समृद्धि और बदलाव’’ का नया दौर रच रहा है। छत्तीसगढ़ की यह 25 साल की गौरवगाथा देश के अन्य राज्यों के लिए प्रेरणा है कि यदि सही दिशा, नेतृत्व और जनता का सहयोग मिले तो किसी भी राज्य को विकास की ऊँचाइयों तक पहुँचाया जा सकता है।