नागपुर। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बुधवार को नागपुर स्थित राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नीरी) में छापेमारी की। सीबीआई की टीम के पहुंचने से संस्थान में खलबली मच गई। महंगे अनुसंधान उपकरणों की खरीदी में बड़े पैमाने पर अनियमितता की शिकायतों के बाद यह छापेमारी की गई। नीरी में फर्जी रिसर्च और फर्जी कंपनियों के जरिए लगभग 500 करोड़ रुपए से अधिक के भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। बुधवार सुबह 10 बजे सीबीआई के 12 से 15 अधिकारी नीरी के मुख्य कार्यालय पहुंचे और सीधे डायरेक्टर कार्यालय में जाकर सर्च शुरू कर दिया। मिली जानकारी के अनुसार, यह छापेमारी सीबीआई को मिली एक पुख्ता शिकायत के बाद की गई है। सीबीआई द्वारा यह जांच की जा रही है कि नीरी से कौन-कौन से रिसर्च और महंगे उपकरण खरीदे गए। संदिग्ध वैज्ञानिकों के दफ्तर की तलाशी ली जा रही है और दस्तावेजों की जांच की जा रही है।
जांच की प्रक्रिया और सुरक्षा
जांच के दौरान किसी को भी नीरी के मुख्यालय के अंदर जाने की अनुमति नहीं है। सीबीआई के साथ स्थानीय पुलिस भी मौजूद है। सीबीआई की इस छापेमारी के कारण नीरी संस्थान में हड़कंप मचा हुआ है। बता दें कि भ्रष्टाचार के मामले को लेकर इससे पहले भी राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान के डायरेक्टर रहे राकेश कुमार को निलंबित किया गया था। नीरी में भ्रष्टाचार को लेकर एक बार फिर से कार्रवाई की जा रही है। नीरी संस्थान केंद्र सरकार के अंतर्गत आता है और पर्यावरण से जुड़े कई महत्वपूर्ण रिसर्च करता है।
राकेश कुमार पर लगे आरोप
जानकारी के अनुसार, नीरी के पूर्व डायरेक्टर डॉ. राकेश कुमार पर आरोप है कि उन्होंने नीरी में कई पदों पर वैकेंसी निकाली और इंटरव्यू में अपने करीबियों और रिश्तेदारों को नौकरी दी। नीरी में शिकायतों की जांच में आरोप सिद्ध होने पर उन्हें नागपुर से सीएसआईआर दिल्ली मुख्यालय में अटैच किया गया था।