
मुंबई। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने एक बड़े साइबर अपराध की जांच शुरू की है, जिसमें एक सेवानिवृत्त प्रोफेसर को शेयर निवेश के नाम पर लगभग 1.92 करोड़ रुपये की ठगी का शिकार बनाया गया। यह धोखाधड़ी मुंबई स्थित एक वित्तीय सेवा कंपनी के नाम पर बनाए गए फर्जी व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से की गई थी। विशाखापत्तनम निवासी 65 वर्षीय सेवानिवृत्त प्रोफेसर ने अपनी शिकायत में बताया कि 19 अप्रैल से 30 मई 2025 के बीच उन्हें एक व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़ा गया जिसमें कथित तौर पर विशेषज्ञों द्वारा शेयर बाजार में निवेश संबंधी मार्गदर्शन देने का दावा किया गया था। प्रोफेसर को निवेश प्रारंभ करने के लिए एक लिंक भेजा गया, जिसके जरिए उन्होंने पहले 10,000 रुपये का निवेश किया और 13,000 रुपये का रिटर्न पाकर भरोसा कर लिया। इसके बाद प्रोफेसर ने अलग-अलग तारीखों में कुल 1.92 करोड़ रुपये शेयरों में निवेश के नाम पर भेज दिए। जब उन्हें बताया गया कि उनके निवेश की कुल वैल्यू 35 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है और उन्होंने 5 करोड़ रुपये निकालने की कोशिश की, तो उन्हें 32 लाख रुपये के “कमीशन” का भुगतान करने को कहा गया। बाद में बातचीत के बाद यह राशि 7.90 लाख रुपये कर दी गई, जिसे उन्होंने 30 मई को भर दिया। लेकिन फिर भी एक भी रुपया निकालने में असमर्थ रहे। ठगी का एहसास होने पर उन्होंने तुरंत सीबीआई से संपर्क किया। जांच एजेंसी ने भारतीय दंड संहिता (IPC) और आईटी अधिनियम की विभिन्न धाराओं- धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश, और प्रतिरूपण के तहत मामला दर्ज कर लिया है।
प्रारंभिक जांच के प्रमुख बिंदु:
व्हाट्सएप पर प्रोफेसर को फर्जी निवेश ग्रुप में जोड़ा गया। नकली वेबसाइट के जरिए लॉगइन और निवेश के लिए प्रेरित किया गया। पहले छोटे निवेश पर बड़ा रिटर्न दिखाकर विश्वास जीता गया। “रिटर्न निकालने” के बहाने लाखों का अतिरिक्त भुगतान वसूला गया। नकली ट्रेडिंग ऐप में निवेश मूल्य 35 करोड़ रुपये तक दिखाया गया। रियल इन्वेस्टमेंट के बदले कोई रकम वापस नहीं मिली।
सीबीआई की कार्रवाई
सीबीआई इस मामले को “संगठित और सुनियोजित साइबर ठगी” मान रही है और यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि देश या विदेश से यह गिरोह संचालित हो रहा था। जिन बैंक खातों में रकम भेजी गई, उनकी जांच शुरू हो चुकी है और संबंधित डिजिटल साक्ष्य भी जुटाए जा रहे हैं। यह मामला उन सैकड़ों भारतीयों के लिए चेतावनी है जो सोशल मीडिया या व्हाट्सएप के जरिए मिलने वाले निवेश के झांसे में आकर भारी नुकसान उठा रहे हैं। सीबीआई ने आम नागरिकों से अपील की है कि किसी भी अप्रमाणिक लिंक, ग्रुप या निवेश सलाहकार पर भरोसा करने से पहले सरकारी पोर्टल और रजिस्टर्ड फर्म की पुष्टि अवश्य करें।