Thursday, December 12, 2024
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सशस्त्र बल ध्वज कोष में योगदान का आह्वान: राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन

मुंबई। सशस्त्र बल ध्वज कोष में योगदान देकर देश के नागरिक अपनी सेना के प्रति कृतज्ञता व्यक्त कर सकते हैं। इस विचार को व्यक्त करते हुए, राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि सीमाओं पर जवानों की चौकसी ही देश की सुरक्षा और नागरिकों की खुशहाली सुनिश्चित करती है। सशस्त्र बल झंडा दिवस की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर राज्यपाल ने शनिवार को मुंबई के राजभवन में आयोजित कार्यक्रम में इस अभियान का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि यदि देश के लोग आपसी मतभेद भुलाकर एकजुट होकर काम करें, तो वर्ष 2047 तक भारत एक विकसित राष्ट्र के रूप में उभर सकता है। कार्यक्रम में राज्यपाल की पोशाक पर सशस्त्र बल ध्वज की प्रतिकृति लगाई गई, और उन्होंने ध्वज निधि में योगदान दिया। राज्यपाल ने वीर योद्धाओं छत्रपति शिवाजी महाराज और छत्रपति संभाजी महाराज के पराक्रम का स्मरण करते हुए भारतीय सेनाओं के अदम्य साहस को सलाम किया। उन्होंने कारगिल और डोकलाम जैसी चुनौतियों में सेना के प्रदर्शन की सराहना करते हुए कहा कि सेना प्राकृतिक आपदाओं और बाढ़ के दौरान भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। राज्यपाल ने भारत के तीसरी महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर होने पर भरोसा व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि उनका सपना है कि भारतीय दूतावासों के सामने भी वैसी ही कतारें लगें जैसी आज अमेरिकी दूतावासों के सामने दिखती हैं। इस अवसर पर, विगत वर्ष ध्वज निधि संग्रहण में उत्कृष्ट योगदान देने वाले सरकारी और अर्धसरकारी संस्थानों के प्रमुखों को सम्मानित किया गया। स्मृति चिन्ह प्राप्त करने वालों में कोंकण संभागीय आयुक्त राजेश देशमुख, नासिक संभागीय आयुक्त डॉ. प्रवीण गेदाम, नागपुर कलेक्टर डॉ. विपिन इटनकर, और अन्य अधिकारी शामिल थे। कार्यक्रम में वाइस एडमिरल संजय जे. सिंह, प्रधान सचिव अंशू सिन्हा, मेजर जनरल बिक्रमदीप सिंह, और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
ध्वज निधि का महत्व
सशस्त्र बल ध्वज निधि का उपयोग शहीद सैनिकों के परिवारों के कल्याण, उनके बच्चों की शिक्षा, और सेवानिवृत्त सैनिकों के पुनर्वास के लिए किया जाता है। इस मौके पर कई संगठनों और व्यक्तियों ने निधि में योगदान देकर देश के प्रति अपने कर्तव्य को निभाने का उदाहरण प्रस्तुत किया।

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