
मुंबई। बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के स्वास्थ्य विभाग ने कांदिवली, सांताक्रूज़, बांद्रा और विक्रोली स्थित चार परिधीय अस्पतालों को निर्देश दिया है कि वे अपने मेडिकल इंटेंसिव केयर यूनिट (एमआईसीयू) और सर्जिकल इंटेंसिव केयर यूनिट (एसआईसीयू) का प्रबंधन आंतरिक संसाधनों से करें। निजी एजेंसियों को दिया गया आउटसोर्सिंग अनुबंध 30 अगस्त को समाप्त हो चुका है, जिसे पहले भी मार्च 2025 तक छह महीने का विस्तार दिया गया था। स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, अब इन अस्पतालों में आरक्षित बिस्तरों का प्रबंधन अस्पताल के डीएनबी शिक्षक, छात्र, वरिष्ठ रेजिडेंट और स्नातकोत्तर चिकित्सा अधिकारियों सहित स्वयं के स्टाफ द्वारा किया जाएगा। प्रभावित अस्पतालों में कांदिवली का बीडीबीए शताब्दी अस्पताल (15-बेड एमआईसीयू, 15-बेड एसआईसीयू), सांताक्रूज़ का वी.एन.देसाई अस्पताल (10-बेड एमआईसीयू), बांद्रा का के.बी. भाभा अस्पताल (12-बेड एमआईसीयू) और विक्रोली का केएमजे (फुले) अस्पताल (10-बेड एमआईसीयू) शामिल हैं। कांदिवली स्थित बीडीबीए शताब्दी अस्पताल ने 26 अगस्त को अस्थायी संविदा आधार पर आठ पदों के लिए विज्ञापन जारी किया, जिनमें तीन डीएनबी चिकित्सा शिक्षक, दो डीएनबी शल्य चिकित्सा शिक्षक, एक स्नातकोत्तर शल्य चिकित्सा चिकित्सा अधिकारी और दो डीएनबी एनेस्थीसिया शिक्षक शामिल हैं। उप नगर आयुक्त (स्वास्थ्य) शरद उघड़े ने बताया कि नए ठेकेदार की नियुक्ति के लिए निविदा प्रक्रिया जारी है और यह एक या दो महीने में पूरी हो जाएगी। उन्होंने कहा कि मरीजों को असुविधा न हो, इसके लिए फिलहाल एमआईसीयू और एसआईसीयू सेवाएं अस्पताल के अपने संसाधनों से चलाई जाएंगी। हालांकि, निजी ठेकेदारों के साथ पिछले अनुभव उत्साहजनक नहीं रहे हैं। वी.एन. देसाई अस्पताल में एक गंभीर चूक सामने आई थी, जहां महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल (एमएमसी) से वैध पंजीकरण के बिना एक डॉक्टर मरीजों का इलाज करता पाया गया। इसके बाद उस डॉक्टर को हटा दिया गया और ठेकेदार का भुगतान रोक दिया गया।