मुंबई। मुंबई में बेईमान डेवलपर्स के शिकार हुए सैकड़ों लोग अपने सपनों के घर के लिए भारी रकम गंवाकर वर्षों से न्याय के लिए संघर्ष कर रहे हैं। ऐसे ही एक बड़े रियल एस्टेट घोटाले में आरोपी पराग ठक्कर और उनकी पत्नी शिल्पा ठक्कर को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन बाद में उन्हें जमानत मिल गई। हालांकि, धोखाधड़ी के शिकार फ्लैट खरीदारों ने लंबी कानूनी लड़ाई के बाद एस्प्लेनेड कोर्ट से जमानत रद्द कराने में सफलता हासिल की। श्री महालक्ष्मी रेजीडेंसी और रियली अफोर्डेबल होम्स (आरएएच) परियोजनाओं के तहत ठक्कर दंपति पर आरोप है कि उन्होंने करीब 142 फ्लैट खरीदारों से 18 करोड़ रुपये की ठगी की। पीड़ितों का दावा है कि यह घोटाला 100 करोड़ रुपये से भी अधिक का है, जिसमें लगभग 1,400 फ्लैट खरीदार शामिल हैं। ये परियोजनाएं नेरल में स्थित थीं, जिन्हें आदर्श हॉलिडे होम्स के रूप में प्रस्तुत किया गया था, जिनमें स्विमिंग पूल, बैडमिंटन कोर्ट और पार्क जैसी सुविधाओं का वादा किया गया था। वर्ली निवासी और मुंबई पुलिस कर्मचारी एजाज पटेल ने फरवरी 2021 में ठक्कर दंपति के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने बताया कि फ्लैट के लिए भुगतान करने के बावजूद 2019 तक उन्हें कब्जा नहीं मिला। मामले की जांच आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) को सौंपी गई। 2021 में ठक्कर को गिरफ्तार किया गया, लेकिन जल्द ही जमानत मिल गई। महंगे वकीलों का खर्च उठाने में असमर्थ पीड़ितों ने एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर खुद का प्रतिनिधित्व करने का फैसला किया। दो महीने तक चले तर्क-वितर्क के बाद अदालत ने आरोपी की जमानत रद्द कर दी और उन्हें फिर से गिरफ्तार किया गया। श्री महालक्ष्मी रेजीडेंसी में 67 इमारतों के 900 खरीदार और आरएएच में 9 इमारतों के 500 खरीदार शामिल थे। कुल मिलाकर, 1,400 फ्लैट करीब 170 करोड़ रुपये में बेचे गए। जांच के दौरान पता चला कि ठक्कर दंपति ने मुंब्रा, नारपोली, दिल्ली और हरियाणा में भी इसी तरह की धोखाधड़ी की थी, जिनमें 40-50 करोड़ रुपये के अतिरिक्त घोटालों का खुलासा हुआ। एजाज पटेल ने कहा, “हम वकील का खर्च नहीं उठा सकते थे, इसलिए हमने खुद केस लड़ने का निर्णय लिया। धीरे-धीरे अन्य पीड़ित भी हमारे साथ जुड़ गए।” 100 से अधिक पीड़ितों के सामूहिक प्रयास और न्याय के प्रति उनकी लगन के कारण अदालत ने ठक्कर दंपति की जमानत रद्द की। इस केस ने पीड़ितों को आंशिक राहत दी है, लेकिन अब भी वे अपने खोए हुए धन और सपनों के घर के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इस मामले से यह भी उजागर हुआ कि किस तरह संगठित प्रयास और न्यायपालिका पर विश्वास से बड़े घोटालों के खिलाफ लड़ाई लड़ी जा सकती है।