Thursday, November 21, 2024
Google search engine
HomeOpinionAutocratic power dangerous : निरंकुश सत्ता खतरनाक!

Autocratic power dangerous : निरंकुश सत्ता खतरनाक!

Autocratic power dangerous : सत्य विहीन शक्ति हमेशा ही घातक होती है। आज दुनिया कलगभग हर देश तानाशाही के आगोश में है।धूर्त और दुष्ट शक्ति के उपासक होते हैं। राष्ट्रध्यक्ष यदि समूची शक्ति स्वयं में समेट ले तो वह विनाश ही करता है। पुराने समय में त्रैलोक्यजई रावण, अपनी ही सगी बहन के सात संतातियों की हत्या करने वाला निरंकुश कंश। दादा और पिता के रहते सारी सत्ता की शक्ति खुद में निहित कर लेने वाला दुष्ट दुर्योधन।

जर्मन तानाशाह एडॉल्फ हिटलर, मुसोलिनी, तुर्क और मुगल इंपारर्स हों या चीनी राष्ट्रपति या फिर भारत की इंदिरा गांधी सत्ता की केंद्र बनाकर सारी शक्ति स्वयं में निहित करने वाली महिला और आज मोदी उसी रास्ते पर बढ़ कर विधायिका कार्यपालिका और न्यायपालिका सबकी शक्ति क्षीण करके अघोषित तानाशाह बन चुके, अधिनायक वाद की ओर बढ़ रहे। नीति संबंधी कोई भी निर्णय अकेले प्रधानमंत्री नहीं ले सकता। मंत्रिपरिषद का सामूहिक निर्णय लोकतंत्र में मान्य होता है लेकिन किसी भी मंत्री से सलाह मशविरा किए नोट बंदी का निर्णय लिया किन्तु नोट बंदी पूरी तरह फ्लॉप रही।

आरबीआई द्वारा छपी गई लगभग सारी करेंसी बैंकों में वापस आ गया है। यहां तक कि नई करेंसी जितनी छापी गई उसमे से लगभग 2.44 लाख करोड़ केवल 2000 की करेंसी गायब 500 का जवाब नहीं मिला है। इसका अर्थ हुआ कि वे सभी करेंसी फिर से कालाधन में बदल गई। तीन साल में ही स्विस बैंक में जमा धन कई गुना बढ़ गया लेकिन सरकार उसे कालाधन नहीं मानती। कालाधान तो जनता के पास रहा दो चार बड़ी नोटों की शक्ल में। बाकी सभी व्यापारी उद्योगपति मंत्री सांसद विधायक तो बेहद ईमानदार निकले जो कभी बैंक की कतार में खड़े नहीं हुए। नोटबंदी से लाखों छोटे उद्योग बंद होने से तीस लाख मजदूर बेरोजगार हो गए। सारे नेता, ब्यूरो क्रेट्स तो दूध के धुले हैं। नेता, ब्यूरोक्रेट्स उद्योगपति और बड़े व्यापारी तो बेहद ईमानदार हैं।

जिनके घर बैंककर्मी रात में नोट गिनने की मशीन लेकर उनके घर गए। पुरानी नोट बैंक में और नई नोट फिर से कालाधन बन गई। सुप्रीम कोर्ट में नया चुनाव आयुक्त उस व्यष्क्ति को दो दिन में बना दिया गया जिसने वालेंतरी रिटायरमेंट लेने वाला पीएमओ में सचिव रहा। यद्यपि रिटायर्ड ही चुनाव आयुक्त बनाए जाते रहे है लेकिन वीआरएस लेने के दूसरे दिन ही चुनाव आयुक्त नियुक्त करना कुछ अलग मंशा जाहिर करता है। याचिकाओं की सुनवाई करते हुए एससी ने सालिसिटर से कहा है नियुक्ति की फाइल हम तक आनी चाहिए। आगे आगे देखिए होता है क्या?

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments