Wednesday, August 27, 2025
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हथियार बरामदगी मामला: उच्च न्यायालय ने अपर्याप्त साक्ष्य का हवाला देते हुए पांच आरोपियों की जमानत दी

पुणे। बंबई उच्च न्यायालय ने 2018 के हथियार बरामदगी मामले और पुणे में सनबर्न फेस्टिवल पर हमले की कथित तौर पर साजिश रचने के लिए महाराष्ट्र आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) द्वारा गिरफ्तार किए गए पांच लोगों को यह कहते हुए जमानत दे दी है कि साजिश रचने के आरोपों को साबित करने के लिए प्रथम दृष्टया पर्याप्त साक्ष्यों का अभाव है। न्यायमूर्ति भारती डांगरे और न्यायमूर्ति मंजूषा देशपांडे की एक खंडपीठ ने 30 जुलाई के आदेश में आरोपियों के लंबे समय से कैद में होने और मुकदमे के जल्द खत्म होने की संभावना कम होने का भी उल्लेख किया।
एटीएस ने ठाणे जिले के नालासोपारा इलाके में दो अन्य आरोपियों के घर से हथियार, गोला-बारूद और विस्फोटक सामग्री जब्त किए जाने के बाद 2018 में पांच लोगों को गिरफ्तार किया था। एटीएस ने दावा किया था कि हथियारों और विस्फोटकों का इस्तेमाल दिसंबर 2017 में पुणे में सनबर्न फेस्टिवल को निशाना बनाने के लिए किया जाना था। पीठ ने अभियोजन पक्ष द्वारा अपने आरोपपत्र में प्रस्तुत गवाहों के बयानों और अन्य साक्ष्यों की समीक्षा की और कहा कि वे ‘‘अपर्याप्त’’ हैं। अदालत ने कहा, ‘‘हमने प्रथम दृष्टया यह राय बनाई है कि ये बयान हमारे समक्ष अपीलकर्ताओं के खिलाफ साजिश के आरोप को साबित करने के लिए अपर्याप्त हैं। अदालत ने कहा कि कथित हमलों में से किसी को अंजाम नहीं दिया गया। अदालत ने कहा, ‘‘सनबर्न कार्यक्रम वास्तव में बिना किसी व्यवधान के सफलतापूर्वक पूर्ण हुआ, लेकिन मौजूदा मामले में गिरफ्तारी कार्यक्रम समाप्त होने के आठ महीने बाद अगस्त 2018 के पहले सप्ताह में की गई थी। इसने कहा कि आरोपियों को 2018 में गिरफ्तार किया गया था और आज तक मुकदमे में केवल दो गवाहों को समन किया गया है। अभियोजन पक्ष मामले में 417 गवाहों से जिरह करना चाहता है। पीठ ने कहा समय पर सुनवाई पूरी होने की संभावना कम है। आरोपों का सामना कर रहे व्यक्ति के मौलिक अधिकार के रूप में शीघ्र सुनवाई को मान्यता दी गई है। पीठ ने सभी पांचों आरोपियों को 50-50 हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दे दी और उन्हें हर महीने एक बार एटीएस के मुंबई कार्यालय और हर सुनवाई के लिए अधीनस्थ अदालत में पेश होने का निर्देश दिया। अदालत आरोपियों द्वारा दायर पांच अपीलों पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्हें जमानत देने से इनकार करने वाले विशेष अदालत के आदेश को चुनौती दी गई थी। आरोपियों पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए), भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), विस्फोटक अधिनियम और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है। पांचों आरोपियों सुजीत रंगास्वामी, अमित बड्डी, गणेश मिस्किन, श्रीकांत पांगारकर और भरत कुरणे को 2018 में गिरफ्तार किया गया था।

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