अररिया:(Araria) मौसम की बेरुखी और इस साल पड़ी रिकाॅर्ड तोड़ गर्मी के बाद मानसून की बारिश से किसानों के चेहरे खिल उठे हैं। गर्मी के कारण खेत खलिहान सूखे पड़े थे और बारिश नहीं होने से किसान परेशान थे।लेकिन मानसून के दस्तक के बाद हुई बारिश ने किसानों को किसानी को लेकर आशा का संचार कर दिया है।किसान खेत में बारिश के पानी लगने के साथ ही खेतों की जुताई के बाद धान की रोपनी में जुट गए हैं।लोक गीतों को गुनगुनाते हुए किसान धान रोपनी कर रहे हैं।
धान की रोपनी में पुरुषों के साथ बड़ी संख्या में महिलाए भी शामिल हैं।प्रसिद्ध साहित्यकार फणीश्वरनाथ रेणु के छोटे पुत्र दक्षिणेश्वर राय पप्पू भी औराही हिंगना गांव में ग्रामीण महिलाओं और पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर धान रोपनी कर रहे है।
दक्षिणेश्वर राय पप्पू ने बताया कि ग्रामीण महिलाएं परम्परागत रूप से कृषि कार्य में दक्ष होती हैं। वे कृषि कार्य में पूर्णतया समर्पित तथा एकाग्रचित होने के लिए लोकगीतों को गुनगुनाती हैं। प्रायः महिलाएं जब धान रोपने तथा निर्वाही करने खेत में जाती हैं, तो अपनी व्यथा और आकांक्षाएं ‘रोपनी’ व ‘सोहनी’ नामक गीत से व्यक्त करती हैं।
सीमा पार नेपाल के तराई इलाके में भी ढोल की थाप और लोकगीतों की धुन पर धान की रोपाई शुरू करने की परंपरा आह्लादित करती है।पुरुष किसानो के साथ महिला किसान एक विशेष पारंगत लय में ढोल बजाकर मैथिली में लोकगीत गेट हुए अराध्य देव को बारिश के लिए आभार करती है।दृश्य काफी मनमोहक है,जिसमे पुरुषों के ढोल के थाप पर महिलाएं लोकगीत गाते हुए धान की रोपाई कर रही हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता दक्षिणेश्वर राय पप्पू बताते हैं कि आज शुक्रवार को कवि नागार्जुन की जयंती है और इसी समय में एकबार नागार्जुन बाबूजी से मिलने के लिए रेणुगांव आए हुए थे और यही ठहरे हुए थे।इसी कड़ी में बारिश के बाद धान रोपनी के लिए बाबूजी(फणीश्वरनाथ रेणु) जाने लगे तो नागार्जुन भी साथ हो लिए और बाबूजी के साथ उन्होंने धान रोपनी में भाग लिया था और आज भी वह तस्वीर अदभुत आह्लादित करने वाला है।
बहरहाल मानसून की बारिश के बाद खेत में पानी के लगने से किसानों के मुरझाए चेहरे खिल उठे हैं और किसान किसानी के तहत धान रोपनी में लग गए हैं।