
डॉ.सुधाकर आशावादी
समाज में व्याप्त कुरीतियों को समाप्त करने का दायित्व केवल समाज शास्त्रियों का नही है, बल्कि हर उस जागरूक नागरिक का है, जो सर्व मंगल कामना का पक्षधर है। इस कड़ी में कभी अपनी बिरादरी में अनुशासन बनाने के लिए कड़े कदम उठाने वाली खाप पंचायतें सामाजिक कुरीतियों को दूर करने के प्रति कितनी गंभीर व सक्रिय हैं, इसका स्पष्ट उदाहरण उत्तर प्रदेश के सौरम गांव में दृष्टिगत हुआ, जहां तीन दिवसीय सर्वखाप महापंचायत ने समाज में व्याप्त कुरीतियों पर गहन मंथन करके ग्यारह प्रस्ताव पारित किए तथा समाज में प्रचलित प्रेम विवाह, लिव इन रिलेशनशिप, भ्रूण हत्या जैसी स्थिति से निपटने के लिए व्यवहारिक व्यवस्था का अनुपालन करने पर जोर दिया। ग्यारह प्रस्तावों के अंतर्गत समाज में मृत्युभोज पर किये जाने वाले आडम्बर से मुक्ति हेतु इस कुरीति को बंद करने की व्यवस्था दी। महंगे विवाहों में दहेज़ जैसी कुरीति एवं विवाह को आडम्बर बनाने बनाने वाले आयोजनों के संदर्भ में स्पष्ट किया गया कि विवाह को पारिवारिक आयोजन बनायें तथा दिन में विवाह उत्सवों का आयोजन करें। इससे जुड़ी अंगूठी की रस्म को छोटी करें। भ्रूण हत्या को एक सामाजिक कुरीति बताते हुए इसे समाप्त करने हेतु अभियान चलाने पर बल दिया गया। भ्रूण हत्या के नाम पर गर्भ में ही बालिकाओं की हत्या किये जाने पर अनेक बुजुर्गों ने आक्रोश व्यक्त किया तथा जनसंख्या असंतुलन का बड़ा कारण बताया। समाज में आधुनिकता के नाम पर यौन उन्मुक्तता को बढ़ावा देने वाली लिव इन रिलेशनशिप तथा समलैंगिकता जैसी कुरीति को स्वीकार न करने का फैसला लिया गया तथा स्पष्ट किया गया कि भारतीय संस्कृति ऐसी अनैतिकता को स्वीकार नहीं करती, इसलिए इस कुरीति पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगना चाहिए। प्रेम विवाह के सम्बन्ध में खाप पंचायतों ने अपना रुख स्पष्ट किया कि विवाह माता पिता की सहमति से ही संपन्न होने चाहिए। हिन्दू विवाह अधिनियम में परिवर्तन करके माता पिता की सहमति को अनिवार्य किया जाना चाहिए। बालिका शिक्षा पर अधिक जोर देने का संकल्प लिया गया, शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए व्यापक प्रयास किए जाने की आवश्यकता पर बल दिया गया। देश में पर्यावरण संरक्षण हेतु सर्वखाप पंचायत ने जल जंगल और जमीन को बचाने की बात कही तथा जल संरक्षण पर विशेष ध्यान दिए जाने पर बल दिया। गोवंश संरक्षण हेतु भगीरथ प्रयास किये जाने पर सहमति व्यक्त करते हुए कहा गया कि गोवंश को बचाने और उनके संवर्धन हेतु कार्य किए जाएं। समाज में बढ़ती नशाखोरी की प्रवृत्ति रोकने के लिए जनजागरण अभियान चलाने पर जोर देने के साथ साथ खाप पंचायतों में महिलाओं और युवाओं की भागीदारी बढ़ाने पर भी बल दिया गया। निसंदेह समाज का मार्ग प्रशस्त करने तथा सामाजिक अनुशासन स्थापित करने में पंचायतों के योगदान को कम नहीं आँका जा सकता। सर्वखाप महापंचायत में सर्वजातीय प्रतिनिधियों द्वारा किया गया मंथन यदि अपने प्रस्तावों को आंशिक रूप से भी समाज में लागू करा सका, तो यह समाज की दिशा और दशा के परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, जिसके समर्थन में सर्वसमाज को आगे आना चाहिए, ताकि एक अनुशासित व्यवस्था से समाज गतिशील रह सके।




