Wednesday, July 9, 2025
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बिना अधिकृत पहचान के सरकारी काउंटर चला रहा था बाहरी व्यक्ति, चार रेलवे अधिकारी निलंबित

मुंबई। शुक्रवार की रात मुंबई के माहिम रेलवे स्टेशन पर एक चौंकाने वाली घटना सामने आई जब एक अनधिकृत व्यक्ति को सरकारी टिकट बुकिंग काउंटर पर यात्रियों को टिकट जारी करते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया। रात करीब 8:30 बजे प्लेटफॉर्म नंबर 1 स्थित बुकिंग काउंटर नंबर 5 पर इस कार्रवाई ने भारतीय रेलवे की आंतरिक नियंत्रण व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। गिरफ्तार व्यक्ति की पहचान 36 वर्षीय विनोद तानाजी दबंगे के रूप में हुई है, जो कि एक प्रिंटर रिपेयर तकनीशियन है और कल्याण (पूर्व) स्थित ओम साईं नगर का निवासी है। उसे न तो किसी प्रकार का आधिकारिक पदनाम प्राप्त था और न ही पहचान पत्र, फिर भी वह रेलवे टिकट जारी कर रहा था। दबंगे को रेलवे सतर्कता टीम, जिसमें मुख्य सतर्कता निरीक्षक संदीप गोलकर, निरीक्षक भाविक द्विवेदी, संजय शर्मा तथा आरपीएफ हेड कांस्टेबल दिनेश गोस्वामी शामिल थे, ने गिरफ्तार किया। पूर्व सूचना पर पहुंची सतर्कता टीम शाम सात बजे से काउंटरों पर गुप्त निगरानी कर रही थी। रात साढ़े आठ बजे जब उन्होंने स्टेशन मास्टर के साथ काउंटर पर छापा मारा तो पाया कि दबंगे टिकट जारी कर रहा था और अधिकृत कर्मचारी पास के कमरे में चाय-नाश्ता कर रहे थे। पूछताछ में दबंगे ने बताया कि उसे चीफ बुकिंग सुपरवाइजर गणेश पाटिल ने बुलाया और टिकट जारी करने का निर्देश दिया था, मगर वह कोई अधिकृत दस्तावेज़ नहीं दिखा सका।
दबंगे के पास से 2,650 रुपए नकद बरामद हुए जिसे बाद में सरकारी खजाने में जमा कर दिया गया। काउंटरों की नकदी जांच में भी विसंगतियाँ सामने आईं। खिड़की नंबर 5 में 34 रुपए और खिड़की नंबर 6 में 45 रुपए का अतिरिक्त कैश मिला, जो स्पष्ट रूप से नकदी प्रबंधन में लापरवाही का संकेत देता है। इस मामले की रिपोर्ट दादर आरपीएफ पोस्ट को दी गई, जहां दबंगे को हिरासत में लेकर रेलवे अधिनियम की धारा 147 के तहत केस दर्ज किया गया। उसे 5 जुलाई की रात कानूनी नोटिस देकर रिहा किया गया, और 7 जुलाई को रेलवे कोर्ट में उपस्थित होने का आदेश दिया गया है। घटना के बाद चार रेलवे अधिकारियों- गणेश पाटिल (मुख्य बुकिंग पर्यवेक्षक), विजय देवडिगा (मुख्य बुकिंग क्लर्क) सहित अन्य दो को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। गणेश पाटिल की भूमिका को लेकर जांच विशेष रूप से केंद्रित है क्योंकि उन्हीं पर बाहरी व्यक्ति को अवैध रूप से सिस्टम तक पहुंच देने का आरोप है। रेलवे सतर्कता विभाग अब इस मामले की गहन जांच कर रहा है, जिसमें यह पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है कि क्या इसी तरह की घटनाएं अन्य स्टेशनों पर भी हुई हैं। इस मामले ने पूरे जोनल रेलवे में चिंता की लहर पैदा कर दी है। वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रोटोकॉल के कठोर क्रियान्वयन, बुकिंग काउंटरों की निगरानी और नकदी प्रबंधन की व्यापक ऑडिट की मांग की है। रेलवे यूनियन और यात्री अधिकार संगठनों ने भी जांच तंत्र की कार्यक्षमता पर सवाल उठाते हुए पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने की मांग की है। रेलवे प्रशासन ने यात्रियों को आश्वासन दिया है कि इस तरह की घटनाओं को भविष्य में रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। एक यात्री कार्यकर्ता के शब्दों में, “यह घटना सरकारी प्रक्रियाओं, विशेष रूप से वित्तीय लेनदेन वाले क्षेत्रों में पारदर्शिता, जवाबदेही और निरंतर सतर्कता की आवश्यकता की गंभीर याद दिलाती है।

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