
मुंबई। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने रविवार को ‘आषाढ़ी एकादशी’ के पावन अवसर पर प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए मराठी भाषा और संस्कृति को देश-विदेश तक पहुंचाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि यह पर्व महाराष्ट्र की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक शक्ति का प्रतीक है, जिसे संरक्षित करना हर नागरिक का कर्तव्य है। अपने संदेश में पवार ने कहा कि सोलापुर जिले के पंढरपुर में स्थित भगवान विट्ठल और देवी रुक्मिणी के मंदिर की ओर ‘वारी’ (तीर्थयात्रा) एक अद्भुत परंपरा है, जो भक्ति, अनुशासन और समर्पण से ओतप्रोत होती है। यह परंपरा सदियों पुरानी सामाजिक-सांस्कृतिक चेतना का जीवंत उदाहरण है, जिसमें लाखों वारकरी भगवा पताका लेकर हरि नाम का संकीर्तन करते हुए पंढरपुर की ओर कूच करते हैं। उन्होंने कहा, वारकरी संप्रदाय महाराष्ट्र के सामाजिक और सांस्कृतिक ताने-बाने को सदियों से सशक्त करता रहा है। वारी में दिखने वाला अनुशासन, स्वच्छता, सेवा भावना और सामाजिक समरसता मानवता और समर्पण का सच्चा सार सिखाता है। यह हमारी विरासत है जिसे महाराष्ट्र के विकास मॉडल में आत्मसात किया जाना चाहिए। पवार ने अपने संदेश में जोर देकर कहा कि “मराठी भाषा और संस्कृति को दूर-दूर तक गूंजने दो, और महाराष्ट्र की प्रगति का झंडा गर्व से ऊंचा फहराओ। राज्य की एकता, समृद्धि और शक्ति के लिए हमें मिलकर आगे बढ़ना है। उन्होंने वारकरी परंपरा को आध्यात्मिक समानता का आंदोलन बताते हुए कहा कि यह सिर्फ धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग को जोड़ने वाला आध्यात्मिक संगम है। लाखों वारकरी जो हरि नाम का जाप करते हुए पंढरपुर पहुंचते हैं, वे एकता, समानता और भाईचारे का जीवंत संदेश देते हैं। पवार ने इस अवसर पर राज्य में अच्छे मानसून, भरपूर फसल और हर घर में सुख-शांति की प्रार्थना भी की। उन्होंने कहा, “खेत हरे-भरे रहें, घरों में अनाज भरा रहे, और हर नागरिक के जीवन में समृद्धि और आनंद बना रहे। अंत में उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने आषाढ़ी एकादशी के इस पावन पर्व पर सभी महाराष्ट्रवासियों से वारी की मूल भावना– सेवा, समर्पण और स्वच्छता को अपनाने और मराठी अस्मिता को मजबूत करने का आह्वान किया।