मुंबई। महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री अजित पवार ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष और अपने चाचा शरद पवार को लेकर शुक्रवार को बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि शरद पवार का एनसीपी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना नौटंकी था।उन्होंने यहां आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वे लगातार शरद पवार को ये कह रहे थे कि उन लोगों को काम के लिए सरकार में शामिल होना चाहिए। वे लोग शरद पवार से जाकर मुलाकात की और बात बताई। उन्होंने कहा कि इसके बाद वे इस्तीफा देंगे, उनके इस्तीफे को लेकर सभी चार लोगों को जानकारी थी। शरद पवार ने कहा कि वे लोग सरकार में शामिल हो जाएं. उसके बाद वह इस्तीफा दे रहे हैं। सुप्रिया सुले भी सरकार में शामिल होने के सपोर्ट में थी। उसके बाद उन्होंने बुक प्रकाशन के मौके पर इस्तीफा दिया, लेकिन उसके तुरंत बाद लोगों को कहा कि उनके समर्थन में लोग प्रदर्शन करें और इस्तीफा वापस मांगे और प्रदर्शन के बाद उन्होंने इस्तीफा वापस लिया, अगर इस्तीफा नहीं देना था तो फिर इतनी नौटंकी क्यों? अजित पवार ने कहा कि सरकार में शामिल होने के बाद शरद पवार ने सभी मंत्रियों को मिलने के लिए बुलाया और फिर उसके बाद दूसरे दिन विधायकों को भी मिलने के लिए बुलाया। बैठक मे उन्होंने सारी बात सुनी और कहा कि ठीक है। हम बताते हैं, फिर बयान आने शुरू हो गए। फिर 12 अगस्त को एक बिजनेसमैन के घर पर पुणे बुलाया गया, जहां शरद पवार, अजित पवार, जयंत पाटिल और बिजनेसमैन थे, वहां पर भी बोला गया कि सब कुछ ठीक होगा।
बीजेपी में शामिल होने पर खोला राज
बीजेपी में शामिल होने पर अजित पवार ने कहा कि कुछ लोग कहते हैं कि उनके उपर केस थे। इसलिए वहां गए. कई आरोप लगाए गए। वह 32 साल से काम कर रहे हैं और जैसा बोलते हैं. वैसा करते हैं। आज उनके पास वित्त विभाग है। डिपीडीसी में कोई भी उनके ऊपर आरोप नही कर सकता है। उन्होंने कहा कि वह भले ही संगठन के प्रदेश अध्यक्ष नहीं बने, लेकिन सभी को पता है कि संगठन का काम कौन करता है और किसने किया है। वह जो बोल रहे हैं, वो झूठ नहीं बोल रहे हैं।
समान नागरिक संहिता लागू हो
अजित पवार ने कहा कि देश में समान नागरिक संहिता लाना चाहिए। उसको लेकर भ्रम नहीं पैदा होनी चाहिए. उससे आरक्षण को लेकर कोई दिक्कत नहीं होगी, जो आरक्षण दिया है। उसमें कोई दिक्कत नहीं होगी, लेकिन समाज नागरिक कानून को लेकर चर्चा होनी चाहिए और उससे मार्ग निकालना चाहिए। अजित पवार ने कहा कि जो महाराष्ट्र की संस्कृति नहीं है। वैसे शब्द इस्तेमाल किए जा रहे हैं वो कोई भी नहीं करें। मराठा आंदोलन शुरू है, ओबीसी का आंदोलन शुरू है। जातिगत आधार पर जनगणना होनी चाहिए, ये पता चलना चाहिए कि कौन सी जाति कितनी है ये पता चलना चाहिए।