
मुंबई। मराठा आरक्षण को लेकर लंबे समय से चल रहे आंदोलन के बीच महाराष्ट्र सरकार ने ओबीसी समुदाय की चिंताओं को दूर करने के लिए छह सदस्यीय कैबिनेट उपसमिति गठित करने का निर्णय लिया है। इस उपसमिति में प्रत्येक दल से दो-दो मंत्री शामिल होंगे। सरकार का यह कदम मराठा और ओबीसी समुदायों के बीच संतुलन बनाने और सामाजिक न्याय के मुद्दों को सुलझाने की दिशा में अहम माना जा रहा है। मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे मराठा समाज को कुनबी श्रेणी में शामिल करने की मांग को लेकर पिछले कई दिनों से मुंबई के आज़ाद मैदान में अनशन पर बैठे थे। मंगलवार को महाराष्ट्र कैबिनेट उपसमिति द्वारा प्रस्तुत सरकारी प्रस्ताव (जीआर) स्वीकार करने के बाद उन्होंने अपना अनिश्चितकालीन अनशन समाप्त कर दिया। इस दौरान उनकी आँखों में आँसू थे और उन्होंने इसे ‘मराठा समाज के लिए दिवाली’ बताया। अनशन तोड़ते समय उन्होंने कहा मराठा विजय जाला, सुखी जाला (मराठा आज विजयी हुए हैं और हम खुश हैं)। प्रदर्शनकारियों ने भगवान का आभार प्रकट करने के लिए गणपति आरती की और इसके बाद आंदोलन को औपचारिक रूप से समाप्त कर दिया। कैबिनेट उपसमिति के प्रमुख राधाकृष्ण विखेपाटिल ने कहा कि सरकार मराठा समुदाय की उचित मांगों को लेकर सकारात्मक कदम उठा रही है। उन्होंने जरांगे को जूस पिलाकर अनशन समाप्त करने के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि इस निर्णय से दोनों समुदायों के बीच सौहार्द कायम रहेगा। इससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने मराठा आरक्षण मामले की सुनवाई स्थगित कर दी थी और संकेत दिया था कि जल्द ही इस मामले में प्रगति देखने को मिलेगी। जरांगे पाटिल के वकील सतीश मानेशिंदे ने आंदोलनकारियों और समर्थकों से अपील की थी कि वे यातायात बाधित न करें और 5,000 से अधिक की संख्या में एकत्रित न हों। अटॉर्नी जनरल बीरेंद्र सराफ ने अदालत को सूचित किया कि पुलिस ने सभी प्रक्रियाओं का पालन किया है और प्रदर्शनकारियों द्वारा किए गए उल्लंघनों की सूची भी प्रस्तुत की गई है। सरकार का मानना है कि इस समझौते से मराठा और ओबीसी दोनों समुदायों को संतुलित प्रतिनिधित्व और आरक्षण लाभ सुनिश्चित करने की दिशा में रास्ता साफ होगा।