
ठाणे। महाराष्ट्र के ठाणे जिले की एक सत्र अदालत ने 25 साल पुराने एक हत्या के मामले में आरोपी 46 वर्षीय शंभूभाई मनुभाई रावल को बरी कर दिया है। सत्र न्यायाधीश एस.बी.अग्रवाल ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपी के खिलाफ आरोप सिद्ध करने में असफल रहा और गवाहों के बयान भी अविश्वसनीय और पर्याप्त नहीं थे। अदालत ने 23 जुलाई को दिए गए इस फैसले की प्रति गुरुवार को सार्वजनिक की। शंभूभाई को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 452 (जबरन घर में प्रवेश) और 120बी (आपराधिक साजिश) के तहत आरोपित किया गया था। गौरतलब है कि पीड़िता कुंदा रावल की मौत वर्ष 2000 में संदिग्ध परिस्थितियों में हुई थी, और उसके पति कुंदन रावल पर उसकी हत्या की साजिश रचने का आरोप लगा था। कुंदन को पहले ही अदालत द्वारा आरोपों से मुक्त कर दिया गया था, जबकि शंभूभाई को वर्ष 2020 में गिरफ्तार किया गया और उसके खिलाफ नया मुकदमा शुरू किया गया। अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया था कि कुंदन रावल ने शंभूभाई और एक तीसरे व्यक्ति सुरेश न्हावी (जो अब भी फरार है) के साथ मिलकर अपनी पत्नी की हत्या की योजना बनाई थी। परिवार की एक सदस्य हंसा गोविंदभाई रावल ने दावा किया था कि उसने कुंदन को हत्या के लिए 5,000 रुपये की पेशकश करते सुना था। 17 फरवरी 2000 को, कुंदन रावल ने पुलिस को बताया कि जब वह दोपहर करीब 1:30 बजे घर लौटा, तो बच्चों ने बताया कि उनकी माँ कहीं चली गई है। बाद में वह बाथरूम के पास बेहोश पाई गई और पोस्टमॉर्टम से दम घुटने और शरीर पर खरोंच व चोटों के निशान सामने आए, जिससे हत्या की आशंका जताई गई। हालांकि, न्यायाधीश ने कहा कि हंसा गोविंदभाई रावल, जिसे अभियोजन पक्ष ने मुख्य गवाह के रूप में पेश किया था और जिसके कुंदन के साथ संबंध होने का आरोप था, उसने खुद ही साजिश के किसी भी विवरण की पुष्टि नहीं की। इसके अलावा, अन्य दो मुख्य गवाह- राकेश रावल और सतीशकुमार रावल ने घटना प्रत्यक्ष रूप से नहीं देखी थी और केवल सुनी-सुनाई बातों पर आधारित गवाही दी थी।