मुंबई। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को बम्बई उच्च न्यायालय को बताया कि जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल की गिरफ्तारी कानूनी प्रक्रिया का पालन करने के बाद वैध तरीके से की गई है। ईडी ने यह भी कहा कि गोयल की हिरासत जरूरी थी, क्योंकि वह टालमटोल वाला रवैया अपना रहे थे और जांच में सहयोग नहीं कर रहे थे। एजेंसी ने गोयल की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के जवाब में अपना हलफनामा दाखिल किया। याचिका में गोयल ने दावा किया था कि उन्हें मामले में ईडी द्वारा अवैध रूप से गिरफ्तार किया गया था। गोयल ने अपनी याचिका में दावा किया है कि उनकी गिरफ्तारी अवैध थी, क्योंकि यह धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों का पालन किए बिना की गई थी। उन्होंने विशेष अदालत के आदेशों को भी चुनौती दी, जिसके तहत उन्हें पहले ईडी की हिरासत में और उसके बाद न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। एजेंसी ने अपने हलफनामे में कहा है कि गोयल द्वारा दायर याचिका पूरी तरह से ‘झूठी, तुच्छ, परेशान करने वाली, कानून की दृष्टि से खराब थी और एक कुत्सित इरादे से दायर की गई थी’। इसमें कहा गया है कि याचिका केवल कानूनी हिरासत से बचने और भागने का एक साधन थी। ईडी के हलफनामे के मुताबिक, ‘याचिकाकर्ता (गोयल) अपने बयानों और आचरण में अत्यधिक असहयोगी, अड़ियल, टालमटोल करने वाला और संदिग्ध था, इसलिए जांच को आगे बढ़ाने और अपराध का पता लगाने के लिए उनकी गिरफ्तारी की गई थी। एजेंसी ने कहा कि गोयल लेन-देन करने और अपराध से अर्जित आय को ठिकाने लगाने के लिए मुखौटा कंपनियों को शामिल करने के मास्टरमाइंड और मुख्य आरोपी थे। गोयल के वकील अमित देसाई ने अदालत से पुष्टिकरण को शामिल करने के लिए याचिका में संशोधन करने की अनुमति मांगी। अदालत ने इसकी अनुमति दे दी और याचिका पर सुनवाई की तारीख 12 अक्टूबर तय कर दी। गोयल फिलहाल केनरा बैंक में 538 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में यहां आर्थर रोड जेल में न्यायिक हिरासत में हैं।