
मुंबई। मुंबई में शहरी बस्तियों को साफ-सफाई, पानी सुरक्षित करने और स्वास्थ्य सुधार के लिए शुरू की गई ‘सुविधा केंद्र’ पहल अब एक मॉडल बन चुकी है। यह पहल मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की सोच के अनुरूप पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के ज़रिए चल रही है, जिसमें हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड और मुंबई नगर निगम का सहयोग है। वर्तमान में शहर में 23 सुविधा केंद्र चल रहे हैं और 24वां जल्द खोला जाएगा। इसके अलावा 2 और केंद्र बन रहे हैं और 7 और प्रस्तावित हैं। इस अभियान में बृहन्मुंबई नगर निगम, हिंदुस्तान यूनिलीवर, एचएसबीसी और जेएसडब्ल्यू फाउंडेशन जैसी संस्थाओं का सहयोग शामिल है। इन केंद्रों का उद्देश्य झुग्गी-झोपड़ी और ज़रूरतमंद इलाकों में साफ-सुथरी, सुरक्षित और सस्ती सफाई सुविधाएं देना है। अब तक लगभग 5.5 लाख लोगों को इस पहल का लाभ मिल चुका है, और यह स्वास्थ्य-सुरक्षा की दिशा में भी असरदार साबित हो रही है। मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा है कि यह मॉडल शहर की सेहत के लिए एक बड़ी जीत है। केंद्रों में मर्द-महिला, बच्चों और दिव्यांगों के लिए विशेष डिज़ाइन की गई सुविधाएं मौजूद हैं, जैसे सुरक्षित टॉयलेट, साफ़ जगहें और पानी-बचत तकनीक। पानी संरक्षण, ऊर्जा दक्षता और वेस्ट मैनेजमेंट को ध्यान में रखते हुए संचालित यह मॉडल पर्यावरण-सहिष्णुता की मिसाल बन चुका है। लगभग 300 प्रशिक्षित महिलाओं द्वारा चलाये जा रहे व्यवहार परिवर्तन कार्यक्रम के ज़रिए 7.5 लाख नागरिकों तक साफ-सफाई की जानकारी पहुँचाई गई है। इन सुविधाओं के कारण पेट, दस्त और मूत्र संक्रमण जैसी बीमारियों में लगभग 50 प्रतिशत कमी देखी गई है। झुग्गी-झोपड़ियों में गंदे पानी और सफाई की कमी से होने वाली बीमारियाँ ख़ासकर कम हो गई हैं। सबसे खास बात यह है कि ये केंद्र शुरुआत के 9 महीनों के अंदर ही आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन जाते हैं। वर्तमान में इन 23 केंद्रों में से सभी पूरी तरह सेल्फ-सस्टेनिंग हैं। यह पहल साफ़ दिखाती है कि जब सरकार, उद्योग और समाज मिलकर काम करते हैं, तो बड़े पैमाने पर स्वास्थ्य, साफ-सफाई और जीवन स्तर में असली बदलाव लाया जा सकता है।




