
मुंबई। महाराष्ट्र के बड़े शहरों में सत्ताधारी नेताओं पर जमीन हड़पने के आरोपों के बीच मीरा-भायंदर भी विवाद के केंद्र में आ गया है। पूर्व नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस विधायक विजय वडेट्टीवार ने जिला में शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) के मंत्री प्रताप सरनाइक पर चार एकड़ जमीन बहुत कम कीमत में हासिल करने का गंभीर आरोप लगाया है। वडेट्टीवार ने दावा किया कि उक्त जमीन की मौद्रिक क़ीमत लगभग 200 करोड़ रुपये है, जिसे केवल 3 करोड़ रुपये में हड़प लिया गया। विजय वडेट्टीवार ने एक वीडियो बयान में कहा कि मंत्री सरनाइक ने अपनी ही एजुकेशनल संस्था के लिए प्राइम लोकेशन पर स्थित यह जमीन अवैध ढंग से हासिल की है। उन्होंने आरोप लगाया कि जमीन की वास्तविक बाजार कीमत और लेन-देन के बीच विषमता संदिग्ध है और इसका संज्ञान लिया जाना चाहिए। प्रताप सरनाइक ने इन आरोपों को सिरे से नकारते हुए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि जिस जमीन का जिक्र किया जा रहा है, वह व्यक्तिगत स्वामित्व में नहीं है बल्कि सिद्धेश चैरिटेबल ट्रस्ट ने उसे अधिग्रहित किया है, जो उनकी बहू द्वारा प्रबंधित है। उन्होंने कहा कि ट्रस्ट ने 8,025 वर्ग मीटर की यह जमीन शैक्षिक प्रयोजन के लिए प्राप्त की है और ट्रांजैक्शन के दौरान सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया गया। सख्त शब्दों में खंडन करते हुए सरनाइक ने बताया कि ट्रस्ट ने ऑक्यूपेंसी राइट्स के लिए 4.55 करोड़ रुपये और रजिस्ट्रेशन शुल्क के रूप में अतिरिक्त 1.28 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने उक्त जमीन केवल लीज पर दी है और कोई भी जमीन अवैध रूप से हासिल नहीं की गई है। वडेट्टीवार को उन्होंने तथ्यों की जाँच कर आरोप लगाने की नसीहत दी। वर्गीय और राजनीतिक पृष्ठभूमि के कारण मामला तूल पकड़ता दिखाई दे रहा है। जिला प्रशासन या संबंधित अधिकारियों की ओर से अभी तक आधिकारिक टिप्पणी सार्वजनिक नहीं की गई है। पुलिस और भूमि-रिकॉर्ड अधिकारियों से जांच, सत्यापन और आवश्यक दस्तावेजों की मांग की जानी चाहिए ताकि आरोप-प्रत्यारोप के बीच सच्चाई सामने लाई जा सके। पृष्ठभूमि में यह मामला उन विवादों की श्रृंखला से जुड़ा है जिनमें राज्य के अन्य नेताओं पर भी जमीन अधिग्रहण व गईमीकरण को लेकर सवाल उठ रहे हैं। इस विवाद पर क्षेत्रीय नेताओं, सिविल सोसायटी और अधिकारिक संस्थानों की निगाहें टिकी हुई हैं।




