
मुंबई। शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने सोमवार को महाराष्ट्र सरकार की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा अगले साल 30 जून तक कृषि ऋण माफी पर निर्णय लेने की घोषणा करना बाढ़ और बारिश से तबाह किसानों के साथ “मजाक” करने जैसा है। पत्रकारों से बातचीत में ठाकरे ने कहा- सरकार किसानों से कह रही है कि अगले साल तक इंतज़ार करें। लेकिन सवाल यह है कि तब तक किसान जिएंगे कैसे? उनकी ज़मीनें बह गई हैं, फसलें बर्बाद हो गई हैं। अब उन्हें लोन कौन देगा? उन्होंने तंज करते हुए पूछा, “जब फडणवीस साहब को मालूम है कि किसानों की हालत बदतर है, तो घोषणा टालने का क्या औचित्य है?
उद्धव ठाकरे की यह प्रतिक्रिया उस वक्त आई जब मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस अमरावती दौरे के दौरान पूर्व विधायक और प्रहार जनशक्ति पार्टी के नेता बच्चू कडू से मिले थे। बच्चू कडू पिछले कुछ दिनों से कृषि ऋण माफी की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। इस मुलाकात के दौरान फडणवीस ने कहा था कि कृषि ऋण माफी पर निर्णय अगले साल 30 जून तक लिया जाएगा। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री ठाकरे ने आगे कहा कि राज्य के मराठवाड़ा क्षेत्र में सितंबर के अंतिम सप्ताह में हुई भारी बारिश से हजारों हेक्टेयर फसलें बर्बाद हुई हैं। उन्होंने कहा- किसानों से यह वादा किया गया था कि उन्हें एमएनआरईजीए के तहत तीन से साढ़े तीन लाख रुपये तक की मदद मिलेगी, लेकिन मुझे नहीं लगता कि अब तक यह वादा पूरा हुआ है। ठाकरे ने यह भी बताया कि वह स्वयं जल्द ही मराठवाड़ा के दौरे पर जाएंगे और किसानों की ज़मीनी स्थिति का जायज़ा लेंगे। इस बीच, सरकार ने किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए एक हाई-लेवल कमेटी का गठन किया है। यह कमेटी मित्रा के सीईओ और मुख्यमंत्री के मुख्य वित्तीय सलाहकार प्रवीण सिंह परदेशी की अध्यक्षता में बनाई गई है। 31 अक्टूबर को गठित इस कमेटी को कृषि ऋण माफी के साथ-साथ किसानों की कर्ज़दारी के दीर्घकालिक समाधान पर सुझाव देने की जिम्मेदारी दी गई है। यह समिति राज्य सरकार को छह महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। गौरतलब है कि 2014 से 2019 के बीच देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में तीन बड़ी कर्ज माफी योजनाएं लागू की गई थीं। इसके बावजूद किसानों की आर्थिक स्थिति में ठोस सुधार नहीं हो सका। बाद में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार ने भी किसानों की ऋण माफी को अपने एजेंडे में प्राथमिकता दी थी। अब एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महायूति सरकार ने 2024 के विधानसभा चुनाव से पहले एक बार फिर किसानों के लिए कर्ज माफी का वादा किया था। हालांकि विपक्ष का कहना है कि सरकार “वादा करने की राजनीति” में उलझी है, जबकि ज़मीन पर किसान अब भी राहत का इंतज़ार कर रहे हैं।




