
मुंबई। महाराष्ट्र वितरण निगम (महावितरण) ने बिजली कर्मचारी संगठनों में से सात के द्वारा घोषित 72 घंटे की अवैध हड़ताल के बावजूद राज्य भर में विद्युत आपूर्ति सुचारू बनाए रखी है। इस हड़ताल का आरंभ गुरुवार से किया गया, लेकिन निगम ने आपातकालीन प्रबंधन के तहत बिजली सेवाओं को प्रभावित नहीं होने दिया। महावितरण के मुताबिक, इस हड़ताल में निगम के केवल 38 प्रतिशत कर्मचारी शामिल हुए, जबकि 62 प्रतिशत इंजीनियर, अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित रहे। साथ ही, 20 हज़ार तकनीकी आउटसोर्स कर्मचारी और ठेकेदारों को कार्य में लगाया गया। इस दौरान मुंबई स्थित मुख्यालय में एक आपातकालीन नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया, जो 24 घंटे राज्य भर में बिजली आपूर्ति की निगरानी कर रहा है। महावितरण ने स्पष्ट किया कि हड़ताल अवैध है और ‘महाराष्ट्र आवश्यक सेवा संरक्षण अधिनियम’ (मेस्मा) के तहत इसका सामना किया जा रहा है। प्रबंधन ने पहले ही बैठक में अपनी सहमति जताते हुए बिजली कर्मचारी संगठनों की मांगों के अनुरूप लिखित प्रस्ताव समिति को सौंपा था। बावजूद इसके हड़ताल की शुरुआत हुई। हड़ताल के दौरान वैकल्पिक जनशक्ति का प्रबंध किया गया, जिसमें हड़ताल में शामिल नहीं हुए महावितरण कर्मचारी, आउटसोर्स तकनीकी कर्मचारी, ठेकेदार और स्थानीय कार्यालयों में चयनित कर्मी शामिल थे। साथ ही, सभी क्षेत्रीय कार्यालयों में नियंत्रण कक्ष बनाए गए, ताकि विद्युत आपूर्ति पर निगरानी रखी जा सके। महावितरण ने नागरिकों से अपील की है कि यदि किसी क्षेत्र में विद्युत आपूर्ति में समस्या हो तो वे केंद्रीय ग्राहक सेवा केंद्र के टोल-फ्री नंबर 1912, 1800-212-3435 या 1800-233-3435 पर संपर्क करें।