
नवी मुंबई। नवी मुंबई महानगरपालिका में 14 गांवों को शामिल करने के प्रस्ताव ने शहर की राजनीति में नई हलचल मचा दी है। इस विवाद ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और वन मंत्री गणेश नाईक के समर्थकों को आमने-सामने ला खड़ा किया है। दोनों गुटों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है, जबकि नाईक समर्थकों ने सोमवार को एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर अपनी स्थिति स्पष्ट की। पूर्व नगरसेवक सूरज पाटिल ने कहा कि यदि इन 14 गांवों को जबरन नवी मुंबई में शामिल किया गया, तो शहर की मौजूदा सुविधाओं पर भारी दबाव पड़ेगा और प्रशासनिक संतुलन बिगड़ जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि वन मंत्री गणेश नाईक इस निर्णय का विरोध राजनीतिक लाभ के लिए नहीं, बल्कि शहर के हितों की रक्षा के लिए कर रहे हैं।
नवी मुंबई के विकास में योगदान देने वाले विकास विरोधी नहीं हैं
सूरज पाटिल ने नवी मुंबई भाजपा अध्यक्ष महस्के के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि नवी मुंबई के विकास में जिन्होंने दशकों तक योगदान दिया, उन्हें विकास विरोधी कहना अन्यायपूर्ण है। उन्होंने कहा, “जिन लोगों ने शहर को लूटा, उन्हें चोर कहना गलत नहीं। नवी मुंबई के नागरिक जानते हैं कि किसने शहर के संसाधनों का दुरुपयोग किया।
पाटिल ने 2014 में पारित महापालिका प्रस्ताव का उल्लेख करते हुए बताया कि उस समय 500 करोड़ रुपये के भूमिगत मार्ग की मांग की गई थी, जो आज तक अधूरी है। उन्होंने कहा कि यदि इन गांवों को महानगरपालिका में शामिल किया गया, तो वहाँ बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध कराने के लिए कम से कम 6,600 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी।
कोरोना काल में ऑक्सीजन और पानी की चोरी हुई
सूरज पाटिल ने यह भी आरोप लगाया कि कोरोना महामारी के दौरान नवी मुंबई में ऑक्सीजन, इंजेक्शन और पानी की चोरी हुई थी। उन्होंने कहा कि बारवी डेम परियोजना के तहत नवी मुंबई को 80 एमएलडी पानी मिलना चाहिए था, लेकिन वर्तमान में केवल 40 एमएलडी ही प्राप्त हो रहा है। उन्होंने प्रकल्पग्रस्त युवाओं की बेरोजगारी का मुद्दा उठाते हुए कहा कि उन्हें स्थायी रोजगार दिए जाने का वादा आज तक पूरा नहीं हुआ है। “ये युवा वर्षों से ठेका पद्धति पर काम कर रहे हैं, जबकि उन्हें स्थायी नौकरी मिलनी चाहिए थी।
नाईक परिवार का 40 वर्षों का योगदान नकारा नहीं जा सकता
पाटिल ने गणेश नाईक परिवार के विकास कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि पिछले चार दशकों में नवी मुंबई ने जितनी प्रगति की है, उसमें नाईक परिवार की भूमिका निर्णायक रही है। उन्होंने कहा कि आज जो लोग आरोप लगा रहे हैं, वही कभी शहर के संसाधनों के दोहन में शामिल थे। संवाददाता सम्मेलन में उपस्थित नाईक समर्थकों ने कहा कि वन मंत्री गणेश नाईक पर लगाए गए सभी आरोप राजनीतिक चालबाज़ी का हिस्सा हैं और जनता ऐसे झूठे प्रचार से भ्रमित नहीं होगी। इस बीच, राजनीतिक हलकों में इस बात को लेकर चर्चा तेज है कि यदि 14 गांवों को नवी मुंबई महापालिका में शामिल किया गया, तो शहर के बजट, जलापूर्ति, परिवहन और प्रशासनिक ढांचे पर गहरा असर पड़ सकता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि राज्य सरकार इस विवाद पर क्या रुख अपनाती है, क्योंकि यह मुद्दा धीरे-धीरे नवी मुंबई की राजनीति का प्रमुख चुनावी एजेंडा बनता जा रहा है।




