
मुंबई। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र सौर पैनल निर्माण के क्षेत्र में देश में अग्रणी राज्य है और इस क्षेत्र में हो रहे व्यापक कार्यों के परिणामस्वरूप एक विशाल ‘हरित पारिस्थितिकी तंत्र’ विकसित हो रहा है। उन्होंने बताया कि चूँकि हरित इस्पात एक उभरता हुआ क्षेत्र है, इसलिए इसके लिए नीति निर्माण हेतु एक विशेष समिति का गठन किया जा रहा है। मुख्यमंत्री सोमवार को उद्योग विभाग संबंधी मंत्रिमंडलीय उप-समिति की 13वीं बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। बैठक में उपमुख्यमंत्री अजित पवार और उद्योग मंत्री डॉ. उदय सामंत भी उपस्थित रहे। मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के बड़े और अति-बड़े उद्योगों के लिए सामूहिक प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत धनराशि उपलब्ध कराई गई है। साथ ही, विदर्भ और मराठवाड़ा क्षेत्रों में कपड़ा उद्योग पर वैश्विक कर संरचना में आए परिवर्तनों के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए औद्योगिक सब्सिडी से बिजली शुल्क रियायतों की कटौती नहीं की जाएगी। इसके अतिरिक्त, इन क्षेत्रों के वर्गीकृत औद्योगिक क्षेत्रों के लिए कैप्टिव प्रोसेस विक्रेताओं से संबंधित प्रावधानों में भी संशोधन किया जाएगा।
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि चूँकि पुणे जिले का खेड़ तालुका “ए” और “सी” श्रेणी के तालुका क्षेत्रों में वर्गीकृत है, इसलिए खेड़ इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड और खेड़ डेवलपर्स लिमिटेड को “सी” श्रेणी के तालुका के लाभ प्रदान किए जाएंगे। साथ ही, मेसर्स ओपी मोबिलिटी एक्सटीरियर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, जिसमें 90 प्रतिशत महिलाएँ कार्यरत हैं और जिसने पुणे जिले में श्रमिकों को व्यापक रोज़गार प्रदान किया है, को एक प्रमुख परियोजना का दर्जा देने का निर्णय लिया गया। मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिया कि हरित इस्पात के लिए गठित की जाने वाली समिति थ्रस्ट सेक्टर पॉलिसी के अंतर्गत आने वाली परियोजनाओं को प्रोत्साहन देने के विषय पर विचार करे।
बैठक में मुख्य सचिव राजेश कुमार, अतिरिक्त मुख्य सचिव (वित्त) ओ.पी.गुप्ता, अतिरिक्त मुख्य सचिव (शहरी विकास) असीम कुमार गुप्ता, अतिरिक्त मुख्य सचिव (ऊर्जा) आभा शुक्ला, प्रमुख सचिव (योजना) सौरभ विजय, सचिव (उद्योग) डॉ. पी. अंबलगन, सचिव (वस्त्र उद्योग) अंशु सिन्हा, एमआईडीसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी पी. वेलरासु और औद्योगिक विकास आयुक्त दीपेंद्र सिंह कुशवाह सहित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।




