कर्नाटक में विधानसभा चुनाव से पहले ही दूध का संकट गहरा गया है. हालांकि, कर्नाटक कोऑपरेटिव मिल्क प्रोड्यूसर्स फेडरेशन (KMF) ने दूध क्राइसिस को दूर करने के लिए एक नया तोड़ खोज लिया है. फेडरेशन के इस तोड़ से भले ही ग्राहकों के ऊपर आर्थिक बोझ नहीं बढ़े, लेकिन उन्हें पैकेट के अंदर दूध पहले के मुकाबले कम मिलेगा. दरअसल, कर्नाटक कोऑपरेटिव मिल्क प्रोड्यूसर्स फेडरेशन ने कीमत में बढ़ोतरी करने के बजाए दूध के पैकेट को ही छोटा कर दिया है. अब पैकेट के अंदर दूध की क्वांटिटी पहले से कम रहेगी.
रिपोर्ट के मुताबिक, कर्नाटक कोऑपरेटिव मिल्क प्रोड्यूसर्स फेडरेशन ने अपने नंदिनी ब्रांड के दूध की पैकेजिंग में कटौती कर दी है. पहले जहां 50 रुपये वाले फुल-क्रीम के पैकेट में 1,000 मिली दूध रहता था, जिसे फेडरेशन ने घटाकर 900 एमएल कर दिया है. इसी तरह 24 रुपये वाले पैकेट में अब 500 मिली की जगह 450 एमएल ही दूध मिलेंग. वहीं, कर्नाटक कोऑपरेटिव मिल्क प्रोड्यूसर्स फेडरेशन का कहना है कि महंगाई के चलते वह किसानों से महंगी दर पर दूध खरीद रहा है. ऐसे में बार- बार कीमत में बढ़ोतरी करने से बचने के लिए दूध की क्वांटिटी ही कम कर दी.
पूरे भारत में दूध की आपूर्ति में कमी आई है
केएमएफ डेयरी प्रोडक्ट्स बेचना वाली भारत का दूसरा सबसे बड़ा फेडरेशन हैं. अमूल के बाद केएमएफ का ही नंबर आता है. वर्ष 2021-22 में इसने औसतन 81.64 लाख किलोग्राम प्रति दिन दूध की खरीद की थी. हालांकि, केएमएफ की खरीद पिछले साल की तुलना में कम हुई है. अब वह होटलों और अन्य थोक ग्राहकों को भी आपूर्ति बंद कर दी है. खास बात यह है सिर्फ कर्नाटक में ही नहीं, बल्कि पूरे भारत में दूध की आपूर्ति में कमी आई है.
38-39 रुपये प्रति लीटर का भुगतान कर रही है
बता दें कि महाराष्ट्र के पुणे जिले में किसान अमरसिंह कदम को पहले प्रति लीटर गाय के दूध के लिए 32-33 रुपये मिलते थे. वे पास की सोनाई डेयरी में दूध बेचते हैं. वहीं, डेयरी अब उन्हें उसी दूध के लिए 38-39 रुपये प्रति लीटर का भुगतान कर रही है. हालांकि, इसके बावजूद भी किसान अमरसिंह कदम खुश नहीं है. उनका कहना है कि कीमत भल ही बढ़ गई है, लेकिन दूध का प्रोडक्शन कम हो गया है. उन्होंने कहा कि पहले में 350 लीटर दूध रोज बेचता था, लेकिन अब 250 लीटर बेच पा रहा हूं.
त्वचा रोग के चलते भी दूध का उत्पादन प्रभावित हुआ है
वहीं, सोनाई डेयरी के चेयरमैन दशरथ एस. माने का कहना है कि महाराष्ट्र में डेयरी द्वारा दूध की खरीद पिछले साल की तुलना में 10-15 फीसदी कम होगी, क्योंकि चारे महंगे हो गए हैं. ऐसे में किसान जानवरों को पहले के तरह चारे नहीं खिला रहे हैं. इससे दूध का उत्पादन प्रभावित हो सकता है. साथ ही मवेशियों में फैले त्वचा रोग के चलते भी दूध का उत्पादन प्रभावित हुआ है.