
मुंबई। उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग द्वारा विश्वविद्यालय, महाविद्यालय, इंजीनियरिंग और चित्रकला के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले शिक्षकों को प्रदान किया जाने वाला आदर्श राज्य शिक्षक पुरस्कार अब से “डॉ. जे. पी.नाईक आदर्श राज्य शिक्षक पुरस्कार” के नाम से दिया जाएगा। इस निर्णय की घोषणा उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने की। डॉ. जे.पी. नाईक के शैक्षणिक योगदान को केंद्र सरकार, देश और यूनेस्को ने भी मान्यता दी है। उनके योगदान के प्रति कृतज्ञता स्वरूप यह पुरस्कार उनके नाम पर रखा गया है। साथ ही, पुरस्कार चयन प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने हेतु संशोधित सरकारी निर्णय जारी किया गया है। इस निर्णय का उद्देश्य उन शिक्षकों का चयन करना है जिन्होंने सच्ची लगन से अध्ययन-अध्यापन कर शिक्षा के क्षेत्र में बहुमूल्य योगदान दिया है।
पुरस्कार चयन प्रक्रिया और समिति संरचना
पुरस्कार के लिए अंतिम केंद्रीय स्क्रीनिंग समिति में कुलपति अध्यक्ष होंगे। सदस्य के रूप में उच्च शिक्षा निदेशालय, तकनीकी शिक्षा, कला और दो विषय विशेषज्ञ शामिल होंगे, जबकि संयुक्त निदेशक (मुख्यालय) सदस्य सचिव होंगे। मुख्य समिति के अध्यक्ष उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री, उपाध्यक्ष राज्य मंत्री, सदस्य के रूप में अतिरिक्त मुख्य सचिव और राज्य के दो प्रतिष्ठित शिक्षा विशेषज्ञ होंगे। सदस्य सचिव उच्च शिक्षा निदेशक होंगे।
डॉ. जे. पी. नाईक का परिचय
5 सितंबर 1907 को कोल्हापुर जिले के बहिरेवाड़ी (तालुका अजरा) में जन्मे डॉ. जे. पी. नाईक भारतीय शिक्षा जगत के एक प्रमुख स्तंभ माने जाते हैं। उनका कार्यक्षेत्र महाराष्ट्र से आगे बढ़कर देश और विदेश तक विस्तृत रहा है। यूनेस्को ने भी उनके शैक्षिक योगदान को मान्यता दी है। उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि डॉ. जे. पी. नाईक के नाम पर पुरस्कार देने का निर्णय शिक्षकों के सम्मान को और अधिक सार्थक एवं प्रेरणादायी बनाएगा।