
मुंबई। महाराष्ट्र में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर एक बार फिर से सवाल उठ खड़े हुए हैं। बीड के सरपंच संतोष देशमुख हत्या मामले में लापरवाही बरतने के बाद, अब केंद्रीय खेल एवं युवा मामलों की मंत्री और भाजपा नेता रक्षा खडसे की नाबालिग बेटी के उत्पीड़न मामले में सभी आरोपियों की गिरफ्तारी न होने के चलते देवेंद्र फडणवीस सरकार आलोचनाओं के घेरे में आ गई है।
क्या है पूरा मामला?
28 फरवरी को रक्षा खडसे की बेटी अपनी सहेलियों के साथ जलगांव जिले के मुक्ताईनगर में वार्षिक संत मुक्ताई जात्रा (मेला) में गई थी। उस समय रक्षा खडसे सरकारी काम से गुजरात में थीं। मेले के दौरान सात युवकों के एक गिरोह ने लड़कियों का पीछा किया, छेड़छाड़ की और उनके वीडियो बनाए। इस दौरान मंत्री द्वारा तैनात एक पुलिसकर्मी भी मौके पर मौजूद था, लेकिन आरोपियों ने उसकी परवाह किए बिना उसके साथ हाथापाई की। अगले दिन जब खडसे की बेटी ने उन्हें इस घटना के बारे में बताया, तो खडसे खुद मुक्ताईनगर पुलिस स्टेशन गईं और शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद अनिकेत घुई समेत चार आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। हालांकि, घटना के दो सप्ताह बाद भी तीन आरोपी अभी भी फरार हैं, जिससे पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
राजनीतिक आरोप और सरकार की आलोचना
इस घटना के बाद विपक्ष ने राज्य सरकार पर निशाना साधा है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) की नेता और रक्षा खडसे की भाभी रोहिणी खडसे ने कहा, “अगर केंद्रीय मंत्रियों की बेटियां सुरक्षित नहीं हैं, तो महाराष्ट्र में आम महिलाओं की सुरक्षा के बारे में क्या कहा जा सकता है? कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने पहले भी महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफल रहने के लिए फडणवीस सरकार की आलोचना की थी। रोहिणी खडसे ने आरोप लगाया कि आरोपियों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है, जिस कारण वे अब तक फरार हैं। उन्होंने कहा, “पुलिस का अब अपराधियों पर कोई नियंत्रण नहीं रह गया है, अपराधियों में कानून का कोई डर नहीं है। महिलाओं की सुरक्षा के मामले में सरकार उदासीन और निष्क्रिय नज़र आती है। सिर्फ़ बड़े-बड़े वादे करने की बजाय सरकार को अपनी ‘लड़कियों’ की सुरक्षा सुनिश्चित करने पर ध्यान देना चाहिए। रक्षा खडसे ने इस मामले को लेकर गृह मंत्रालय संभाल रहे देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की और इस चौंकाने वाली घटना की ओर उनका ध्यान आकर्षित किया। वहीं, एक पूर्व पुलिस अधिकारी ने कहा कि महाराष्ट्र पुलिस में पोस्टिंग और ट्रांसफर के मामलों में राजनीतिक हस्तक्षेप बढ़ने से अधिकारी अपनी वर्दी के बजाय अपने राजनीतिक आका के प्रति वफादार हो गए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि ट्रांसफर और पोस्टिंग के दौरान बड़े पैमाने पर धन का लेन-देन होता है। इस घटना ने न सिर्फ महाराष्ट्र में कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि राजनीतिक हलकों में भी खलबली मचा दी है। अब देखना यह होगा कि पुलिस और प्रशासन इस मामले में क्या कार्रवाई करता है और फरार आरोपियों को कब तक गिरफ्तार किया जाता है।