
मध्यप्रदेश में शिवराज चौहान के द्वारा चलाई जा रही लाडली योजना कांग्रेस के तमाम वादों पर भारी पड़ी। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को जनता ने नकार दिया। इसका मतलब नहीं कि जनता भूपेश बघेल से नाराज थी इसलिए बाहर का रास्ता दिखाया। राजनीति में आज जितना पतन हुआ है, शायद ही कभी उतना पतन हुआ हो। चुनाव की वोटिंग से ठीक पहले बीजेपी ने ईडी के माध्यम से जो पांच सौ करोड़ रुपए महादेव ऐप के द्वारा फंड देने के आरोप लगाए। भले ही वह खुद साजिश निकली किंतु तब तक साजिश अपना काम कर गई। भूपेश बघेल सरकार को बदनाम और भूपेश बघेल को भ्रष्ट प्रचारित कर देने से जनता ने सही मान लिया। राजस्थान में निश्चित ही मुख्यमंत्री और पायलट के बीच जो अंतर्द्वंद्व था। उसकी विभीषिका और पांचवे साल सत्ता परिवर्तन की परिपाटी ने भाजपा को जीत दिला दी।वहीं तेलंगाना में सत्तारूढ़ दल को जनता ने नकार दिया और कांग्रेस को सत्ता सौप दी। अगर कहा जाए कि सत्ता के प्रति जनता का आक्रोश से सत्तारूढ़ दल हारा चारो राज्यों के चुनाव में तो गलत होगा क्योंकि कहीं भी सरकार के प्रति असंतोष नहीं दिखा। अब तो यह देखना होगा कि अगले पांच साल में सत्तारूढ़ सरकार जनहित में क्या करती है। वैसे चुनाव की निष्पक्षता कहीं नहीं दिखी। खुलेआम फर्जी वोटिंग की गई। मध्यप्रदेश में मुस्लिम मतदाताओं को वोट देने से रोकने की शिकायतें आई। छः ईबीएम मशीनें कब्रिस्तान में पकड़ी गईं जिन्हें फेका गया था। एक गाड़ी में ईवीएम भरकर रात के अंधेरे में कहां और क्यों ले जाया गया? उनका क्या और कैसे दुरुपयोग किया गया इसको चुनाव आयोग ने स्पष्ट नहीं किया गया। खुले मंच से ऐलान किया गया जिस बूथ पर कांग्रेस को एक भी वोट नहीं पड़ेगा उसे इक्यावन हजार इनाम दिया जाएगा। मध्यप्रदेश की पुलिस के आला अफसरों के संरक्षण में खुलेआम भाजपा द्वारा वोट के बदले नोट बदलवाए गए। कांग्रेस के कार्यकर्ताओं द्वारा पकड़ने के बावजूद कोई एक्शन नहीं लेना बताता है कि पुलिस और चुनाव आयोग मिलकर बीजेपी को जिताने की भरपूर कोशिश की। यदि मध्यप्रदेश में बीजेपी हार जाती तो यह कहा जाता कि राज्यस्रकारो से जनता नाराज हो गई इसलिए हरा दिया। तेलंगाना में राहुल गांधी, अध्यक्ष कांग्रेस ने जनता में तेलंगाना की सत्तारूढ़ सरकार के भ्रष्टाचार को जनता तक पहुंचाया।इसलिए कांग्रेस जीत गई। संभव है चुनाव आयोग ने गायब या चोरी या छिपाए उन्नीस लाख ईवीएम का तीनों बड़े राज्यों में भरपूर प्रयोग किया होगा इससे इंकार नहीं किया जा सकता क्योंकि तीन बड़े राज्यों मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीजेपी में जीत की योजना बनाई। तेलंगाना और मिजोरम बीजेपी के लिए खास नहीं रहा इसलिए वहां ई वी एम में गड़बड़ नहीं की गई हो ताकि रणनीति के तहत यह कहा जा सके कि उन दो राज्यों में भी ईवीएम से चुनाव हुए फिर बीजेपी क्यों हारी? बड़ी उपलब्धि के लिए छोटी छोटी उपलब्धियों की बलि देना ही आज की राजनीति है। ईवीएम से चुनाव जब शुरू किए गए थे तब बीजेपी ने जोरदार विरोध किया था लेकिन अब? इसके अलावा मध्यप्रदेश के एक जिले में डाक से आए मतपत्रों को 27 नवंबर को ही खोल दिया गया। जबकि वे दो दिसंबर को सभी दलों के प्रतिनिधियों के सम्मुख खोलने का कानून बना है। डीएम को भले ही निलंबित कर दिया गया हो लेकिन सवाल अब भी अनुत्तरित ही रहा। स्ट्रॉन्ग रूम में लगे सीसीटीवी कैमरे दो घंटे के लिए बंद किए गए। ऐसा क्यों किया गया इसे भी चुनाव आयोग ने स्पष्ट नहीं किया। सब मिलकर चुनाव को पारदर्शी ईमानदार नहीं कहा जा सकता क्योंकि चैनल्स गणना पूर्व जो आकलन दे रहे थे वे जनता के रुझान को प्रदर्शित करने वाले थे। तेलंगाना को छोड़कर तीनों बड़े राज्यों के चुनाव के परिणाम चौकाने वाले ही कहे जाएंगे। साथ ही यह भी कि जब तक ईवीएम से चुनाव होंगे बीजेपी को हराया ही नहीं जा सकता। यदि लोकसभा चुनाव ईवीएम से कराए गए तो बीजेपी को हराना असंभव हो जाएगा इंडिया गठबंधन को। इसलिए उसे किसी भी तरह ईवीएम से चुनाव कराना बंद करना होगा।