रहिवासी इलाके में कैसे किस नियम के तहत चल रहे गारमेंट्स के कारखाने?
लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करने वाले अधिकारी व कारखाना संचालको पर कब होगी कार्रवाई?
मुंबई। मुंबई में शहर व उपनगर में आग लगने की घटनाओं में कमी नहीं आ रही है। और आग लगने के बाद शासन-प्रशासन जांच के नाम पर मुंबईकरों को मूर्ख बनाने में लगे हैं। दुर्भाग्यपूर्ण बात यह हैं कि शिकायत के बाद भी आगजनी की घटनाओं को रोकने में नाकाम बीएमसी प्रशासन। मिली जानकारी के अनुसार मंगलवार रात करीब १०.३० बजे सांताक्रुज पूर्व वार्ड क्र ८७ में स्थित बीएमसी एच/पूर्व विभाग से कुछ मीटर की दूरी पर स्थित प्रभात कॉलोनी में अवैध गारमेंट कारखाने में आग लग गई। बुधवार शाम तक बीएमसी और फायर ब्रिगेड के कर्मचारी घटना स्थल पर मौजूद रहे। गनीमत रही कि इस घटना में कोई जनहानि की खबर नहीं हैं। बता दे कि प्रभात कॉलोनी बीएमसी का भूखड़ हैं। जिसपर झोपड़पट्टी बसी हैं। इन्ही झोपड़पट्टी में बड़े पैमाने पर अवैध रूप से गारमेंट्स के कारखाने चल रहे हैं। प्रभात कॉलोनी में अवैध रूप से चल रहे कारखानो की शिकायत सामाजिक कार्यकर्ता महेंद्र पवार ने बीएमसी एच/पूर्व विभाग की सहायक आयुक्त से की थी। अगर समय रहते बीएमसी प्रशासन ने अपना काम ईमानदारी से किया होता तो आज इस आग की घटना को टाला जा सकता था। वहीं लोगों का कहना है कि सहायक आयुक्त स्वप्नजा क्षीरसागर सिर्फ अपनी तिजोरी भरने में लगी है इन्हें जन शिकायतों से कोई लेना देना नही है। वहीं सवाल यह उ’ता हैं कि आखिर किसके संरक्षण में रहिवासी इलाके मे बड़े पैमाने पर गारमेंट्स के कारखाने चल रहे है। सामाजिक कार्यकर्ता महेंद्र पवार ने कहा कि लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करने वाले अधिकारियों व कारखाना संचालको के खिलाफ शासन-प्रशासन को कठोर कार्रवाई करनी चाहिए और आपराधिक मामला दर्ज करना चाहिए।