केंद्रीय कृषिमंत्री तोमर प्रधानमंत्री के बेहद नजदीकी मंत्री हैं। मोदी अन्य मंत्रियों सहित तोमर को मध्यप्रदेश से विधायक का चुनाव लडा रहे हैं। संभव है मध्यप्रदेश में बीजेपी को बहुमत मिलने के बाद तोमर को शिवराज सिंह चौहान के स्थान पर मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे। वे चुनाव भी लड़ रहे। उनके चुनाव क्षेत्र में मुस्लिमों को वोट देने से रोके जाने की सूचनाएं मिली हैं। उन्हीं कृषि मंत्री के सपूत द्वारा एक डीलर से कभी सौ तो कभी पांच सौ करोड़ घूस मांगने के चार वीडियो सोशल मीडिया में तैर रहे हैं। कथित रूप से डीलर का कहना है यह तो अभी ट्रेलर है। मामला दस हजार करोड़ की डिमांड का है। अब मोदी के सामने समस्याएं आन खड़ी हुई हैं। मोदी समझ नहीं पा रहे कि कहां भ्रष्टाचार की वे लड़ाई लड़ते हुए विपक्षी भ्रष्टाचारियों को अपने पाले में लाकर उन्हें क्लीन चिट दे चुके हैं लेकिन तोमर के बेटे के भ्रष्ट चार ने मोदी सरकार की चूलें हिलाकर रख दिया है। अब मोदी की समझ में नहीं आ रहा कि ऐन चुनाव के वक्त बीजेपी मंत्री के बेटे पर लगे आरोप पर वे क्या करें? मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बनने से रहे तोमर। अब यदि मोदी जांच कराते हैं और आरोप प्रमाणित होता है तो? जांच नहीं कराते तो बीजेपी पर भ्रष्टाचार के आरोप का कलंक धोया नहीं जा सकता। जांच न कराने का अर्थ होगा बीजेपी द्वारा अपने भ्रष्टाचार को छिपाना। राहुल गांधी रैलियों में वीडियो के बारे में जनता से सवाल करते दिखे, सीडी देखा क्या? मैने देखा है। मोदी यदि तोमर से इस्तीफा मांग लेते हैं तो भ्रष्टाचार को स्वीकार करने जैसा होगा। मजेदार बात तो यह है कि मध्यप्रदेश की सीमा से बाहर निकलकर राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी जनता तोमर तोमर के नारे लगा रही है। विपक्षी तो विपक्षी ठहरे। वे क्यों नहीं बीजेपी के भ्रष्टाचार मामले को उछाले? मोदी ने छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में अपनी उपलब्धियों की चर्चा तक नहीं की। राममंदिर के बड़े बड़े पोस्टर मध्यप्रदेश में लगाए गए। बीजेपी राममंदिर का श्रेय लेते हुए दिख रही है। शायद मोदी अपनी ही बात भूल गए। जब उनसे कहा गया कि एक कानून बनाकर राममंदिर निर्माण का रास्ता साफ करिए तो मोदी ने कहा था, सरकार का काम नहीं है राममंदिर बनवाना। कोर्ट का विषय है। कोर्ट जो भी निर्णय करेगा मान्य होगा।फिर राममंदिर के नाम पर वोट क्यों मांगते दिखे? जहां तक तोमर का सवाल है तोमर को टाल दें या फिर जांच कराएं? दोनो ही स्थिति बीजेपी की सेहत के लिए ठीक नहीं। मोदी ने चौहान का नाम तक नहीं लिया जो 18 वर्षों तक मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे है ।मोदी डरते हैं कि यदि वे चौहान का नाम लेते हैं तो चौहान के भ्रष्टाचार का क्या जवाब देंगे?। बहरहाल तोमर नाम का नुकीला कांटा चुभने लगा है।साफ शब्दों में कहा जाए तो तोमर मोदी के गले में हड्डी बनकर फंस चुके हैं। तोमर ऐसी हड्डी बनकर मोदी के गले में फंसे हुए हैं जिससे पिंड छुड़ाना आसन नहीं है। विपक्षियों के पीछे आईटी, सीबीआई और ईडी लगाने वाले मोदी देखना है कि तोमर पुत्र पर लगाए गए आरोपों की जांच कराते हैं या नहीं?लेकिन इस भ्रष्टाचार के सामने आने के बाद मोदी के द्वारा विपक्ष पर भ्रष्टाचार के आरोप में कार्रवाई का औचित्य क्या रह जायेगा