मुंबई। पुलिस थानों में पुलिसकर्मियों द्वारा लोगों के उत्पीड़न की घटनाओं में जबरदस्त वृद्धि का हवाला देते हुए महाराष्ट्र राज्य मानवाधिकार आयोग ने पुलिस को संवेदनशील बनाने का आह्वान किया है, ताकि वह लोगों में सुरक्षा की भावना पैदा कर सके। राज्य मानवाधिकार आयोग ने राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) से एक पुलिस थाने में एक दंपती के कथित उत्पीड़न के मद्देनजर राज्य पुलिस बल के अधिकारियों को संवेदनशील बनाने के लिए समय-समय पर सेमिनार आयोजित करने की सिफारिश की है। आयोग ने इस महीने की शुरुआत में आदेश पारित किया, जिसकी एक प्रति शुक्रवार को उपलब्ध कराई गई। आयोग ने पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराने गई एक महिला वकील और उसके पति को शारीरिक और मानसिक रूप से परेशान करने के आरोपी शहर के चार पुलिस अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई शुरू नहीं करने के लिए नागपुर पुलिस आयुक्त की कड़ी आलोचना की। उसने कहा कि यह घटना बहुत चौंकाने वाली और चिंताजनक है। आयोग ने चार दोषी पुलिस अधिकारियों को छह सप्ताह के भीतर महिला वकील और उसके पति को संयुक्त रूप से ढाई लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया और कहा कि दंपती इन पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा करने के लिए स्वतंत्र हैं। नागपुर निवासी वकील अंकिता माखेजा और उनके पति नीलेश माखेजा द्वारा अपने वकील रिजवान सिद्दीकी के माध्यम से दायर एक आवेदन पर आयोग ने यह आदेश दिया। आवेदन में अवैध हिरासत और उत्पीड़न के लिए पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का अनुरोध किया गया था। अंकिता मार्च 2020 में एक कुत्ते को पत्थर मारने के लिए अपने पड़ोसी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के वास्ते लकड़गंज पुलिस थाने गई थीं। दंपती ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उनकी शिकायत दर्ज करने के बजाय उन्हें अवैध रूप से हिरासत में लिया और उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से परेशान किया। आयोग ने अपने आदेश में कहा पुलिस की कार्रवाई से शिकायतकर्ताओं की गरिमा और सम्मान को ठेस पहुंची है।