बेटे की हत्या के बाद मजबूरी में छोड़ना पड़ा घर
गढ़चिरौली:(Gadchiroli) देश के संविधान को ना मानने वाले नक्सली किस हद तक गिर सकते हैं इसकी कहानी बयान करनेवाला मामला महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में सामने आया है। आदिवासी युवक की हत्या करने के बाद नक्सलियों ने उसके परिवार को इस हद तक परेशान किया कि उन्हें अपना घर, खेती और गांव छोड़ कर विस्थापित होना पड़ा।
गढ़चिरौली जिले के भामरागढ़ तहसील में स्थित ग्राम मर्दहूर का युवा साईनाथ चैतू नरोटे अपने परिवार के लिए कुछ करना चाहता था। देश की सेवा करते हुए पेट की आग बुझाने के लिए साईनाथ ने पुलिस में भर्ती होने का फैसला किया। वह पुलिस में भर्ती होने के लिए गया था, लेकिन किन्हीं कारणों से भर्ती नहीं हो सका। नतीजतन उसने गांव लौटने का फैसला किया। नक्सली हर आदिवासी युवक को जबरन अपने गिरोह में शामिल करवाना चाहते हैं। ऐसे में एक आदिवासी युवक का पुलिस में भर्ती होने का सपना नक्सलियों को खटक गया। इसी के चलते नक्सलियों ने 09 मार्च को पूरे परिवार के सामने साईनाथ की गोली मार कर हत्या कर दी।
इस घटना के बाद हरकत में आई पुलिस ने साईनाथ की हत्या के मामले मे दुर्दांत नक्सली प्रकाश उर्फ देवीदास उर्फ आडवे मुरे गावडे को 14 मार्च को गिरफ्तार किया। इस गिरफ्तारी के समय गावडे के अन्य नक्सली साथी मौके से भाग निकले। वहीं राज्य सरकार ने नरोटे परिवार को बतौर आर्थिक मदद आठ लाख रुपये देने की घोषणा की। बीते 23 वर्षों से आतंक का पर्याय बने गावडे के विरुद्ध 10 से अधिक हत्याएं और 25 संगीन अपराध दर्ज हैं। गावडे की गिरफ्तारी से नक्सली बौखला गए। नक्सलियों ने ग्राम मर्दहूर के लोगों को दिवंगत साईनाथ के परिवारवालों का बहिष्कार करने का फरमान सुनाया। इसके चलते नरोटे परिवार अपने ही गांव में अलग-थलग पड़ गया। इसके बाद नक्सलियों ने इस परिवार को दिन-रात धमकाना शुरू किया। इसके चलते नरोटे परिवार अपना घर, खेत और गांव छोड़ कर अज्ञात स्थान पर छिपने के लिए मजबूर हो गया।
नक्सलियों की घिनौनी हरकत इसके बाद भी जारी है। साईनाथ नरोटे की कहानी दुनिया के सामने लाने वाले जनसंघर्ष समिति के संयोजक समाजसेवी दत्ता शिर्के के खिलाफ नक्सलियों ने फरमान जारी कर दिया। नक्सलियों के दंडकारण्य पश्चिम सब जोनल ब्यूरो के प्रवक्ता श्रीनिवास ने आदिवासियों को दत्ता शिर्के जैसे बुद्धिजीवियों से दूर रहने का आदेश दिया है। दत्ता शिर्के जैसे लोगों की बातों में आकर सरकार और उसके विकास कार्यों की बात करने वालों को जान से हाथ धोना पड़ेगा, ऐसी चेतावनी नक्सलियों ने दी है।
अज्ञात स्थान पर छिपने को मजबूर नरोटे परिवार से संपर्क करने पर साईनाथ के भाइयों ने रूंधे गले से अपनी कहानी बयां की। उन्होंने बताया कि उनके पिता बूढे़ हो चुके हैं। अपने पूरे जीवन में उन्होंने जंगल से बाहर की दुनिया नहीं देखी थी। नतीजतन वह केवल गोंडी-माडिया भाषा बोल पाते हैं। मराठी और हिंदी में संवाद करना संभव नहीं हो पाता। इस परिवार की आंखों में गांव, खेती, जंगल, साईनाथ की यादें और मौत का डर स्पष्ट दिखता है।