Wednesday, July 9, 2025
Google search engine
HomeUncategorizedमुंबई में भारत बंद का व्यापक असर: बैंक, डाक और बिजली सेवाओं...

मुंबई में भारत बंद का व्यापक असर: बैंक, डाक और बिजली सेवाओं पर दिखा असर, लोकल ट्रेनें और बसें रहीं सामान्य

मुंबई। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और किसान संगठनों के आह्वान पर बुधवार को आयोजित देशव्यापी हड़ताल ‘भारत बंद’ को मुंबई सहित देश भर में व्यापक समर्थन मिला। बैंकिंग, डाक, बीमा, बिजली जैसे प्रमुख सार्वजनिक क्षेत्रों के कर्मचारियों ने केंद्र सरकार की ‘कॉर्पोरेट समर्थक’ और ‘मज़दूर विरोधी’ नीतियों के विरोध में एकजुट होकर कामकाज बंद रखा। हड़ताल की प्रमुख माँगें- श्रम कानूनों में किए जा रहे बदलावों की वापसी, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों का निजीकरण रोकना, और ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ते आर्थिक संकट पर ठोस कार्रवाई के इर्दगिर्द केंद्रित थीं। इस बंद का आयोजन दस प्रमुख केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और उनके संबद्ध संगठनों द्वारा किया गया था, और इसमें देशभर से 25 करोड़ से अधिक मज़दूरों के भाग लेने का अनुमान जताया गया। मुंबई के फोर्ट क्षेत्र में पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और जनरल पोस्ट ऑफिस (जीपीओ) के कर्मचारियों ने प्रदर्शन में सक्रिय भागीदारी दिखाई। कई बैंक यूनियनों की भागीदारी के चलते नकद लेन-देन, चेक क्लियरेंस और कस्टमर सर्विस जैसी सेवाओं पर असर पड़ा। हालांकि बैंक शाखाएं तकनीकी रूप से खुली थीं, लेकिन कर्मचारियों की कमी के कारण ग्राहकों को खासी परेशानी हुई। बिजली क्षेत्र में भी हड़ताल का असर देखा गया। 25 लाख से अधिक बिजली कर्मचारियों के इस विरोध में शामिल होने की खबर है, हालांकि मुंबई में आपूर्ति सामान्य रही। लेकिन तकनीकी सहायता और मेंटेनेंस सेवाओं में मामूली देरी की सूचना मिली, जिससे उपभोक्ताओं की चिंता बढ़ गई। बीमा, टेलीग्राफ, डाक, और कुछ अन्य सार्वजनिक क्षेत्रों में भी हड़ताल की गूंज सुनाई दी। लेकिन मुंबई की लोकल ट्रेनें और बेस्ट बसें सामान्य रूप से चलती रहीं। परिवहन अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि रेलवे और बस यूनियनों ने हड़ताल में हिस्सा नहीं लिया, फिर भी अंतिम समय पर किसी आपात स्थिति से निपटने के लिए प्रशासन सतर्क रहा। शैक्षणिक संस्थानों में छुट्टी घोषित न होने के कारण स्कूल-कॉलेज खुले रहे, लेकिन कई स्कूलों में उपस्थिति कम देखी गई। माता-पिता ने सुरक्षा और परिवहन की अनिश्चितता के चलते बच्चों को घर पर ही रखा। यह भारत बंद उन आर्थिक और सामाजिक चिंताओं की अभिव्यक्ति था जो लगातार मज़दूर वर्ग और किसानों के बीच गहराती जा रही हैं। मुंबई जैसे वाणिज्यिक शहर में इसका प्रभाव भले ही सीमित रहा हो, लेकिन यह साफ है कि सार्वजनिक क्षेत्र की असंतोषजनक नीतियों के खिलाफ एक संगठित आक्रोश अब सड़कों पर उतर रहा है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments