
मुंबई। राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर देश की राजनीति में भूचाल ला दिया है ।शरद पवार ने इस्तीफा देकर अपनी पार्टी को टूटने बिखरने से बचा लिया। अगर शरद पवार को वास्तविक चाणक्य कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी क्योंकि अध्यक्ष पद से एकाएक इस्तीफा देकर दूसरे चाणक्य अमित शाह को पटकनी दे दी है।अगर शरद पवार इस्तीफा नहीं देते तो उनके भतीजे अजीत पवार और पूर्व एविएशन मंत्री प्रफुल पटेल पार्टी को तोड़कर भाजपा के साथ गलबहियां करते मिलते। यद्यपि शरद पवार के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देते ही पार्टी के दूसरे नेता और कार्यकर्ता फफक फफक कर रोने लगे थे। वे इस्तीफा वापस लेने का आग्रह करने लगे थे यह भी कहा गया कि आप नहीं रहेंगे तो पार्टी का क्या होगा। कार्यकर्ताओं और पार्टी नेताओं का क्या होगा? शरद पवार निशब्द रहे। बोले कुछ नहीं। उनकी भावभंगिमा बता रही थी कि उन्होंने इस्तीफा देकर पार्टी को टूटने से बचा लिया।
लेकिन सभी पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से अलग थलग खड़े अजीत पवार और प्रफुल पटेल कह रहे थे अब वे इस्तीफा वापस नहीं लेंगे। उनको मनाना व्यर्थ है। दरअसल पिछले दिनों शिवसेना को तोड़ने के लिए बीजेपी की केंद्र सरकार ने प्रफुल्ल पटेल और अजीत पवार जिनकी कंपनी में अधिक शेयर उनके और उनकी पत्नी के नाम हैं में आर्थिक घोटाले हुए थे जिसकी जांच सीबीआई और ईडी ने की थी। खुद को बचाने के लिए दोनो दिल्ली दरबार में हाजिरी लगाने चले गए। बीजेपी की वाशिंग मशीन में धुलने के कारण दोनो को क्लीन चिट मिल गई जिसकी शर्त थी कि दोनो राकांपा के अनेक विधायकों को तोड़कर शिवसेना जैसे पार्टी तोड़ देंगे। मरता क्या न करता? दोनों को क्लीन चिट मिलते ही शरद पवार चौकन्ने हो गए इसीलिए अपनी पार्टी को बचाने के लिए उन्होंने सहसा अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया।
इस्तीफा देकर पार्टी को टूटने से बचाकर उन्होंने असली चाणक्य सिद्ध कर दिया।