
मुख्यमंत्री फडणवीस व गृहनिर्माण मंत्री एकनाथ शिंदे कब लेंगे संज्ञान?
मुंबई। मुंबई को शंघाई बनाने का सपना जहाँ सरकार देख रही है, वहीं दूसरी ओर गरीब झोपड़ीधारकों का शोषण विकासकों के साथ-साथ सरकारी चोला पहने बैठे म्हाडा और एसआरए के सक्षम प्राधिकारी भी कर रहे हैं। एसआरए योजना के तहत किसी कारणवश अपात्र ठहराए गए झोपड़ीधारकों को पात्रता के लिए सक्षम प्राधिकारी के यहाँ आवेदन करना पड़ता है। लेकिन आवेदन करते ही भ्रष्टाचार का खेल शुरू हो जाता है। सक्षम प्राधिकारी दलालों, अपने अधीन कर्मचारियों और संबंधित डिवीजन के अधिकारियों के साथ मिलकर लूट का तंत्र चला रहे हैं। गरीबों से पात्रता दिलाने के नाम पर 1.35 लाख से लेकर 3.5 लाख रुपये तक की वसूली की जाती है। मुंबई म्हाडा और एसआरए में यह लूट तंत्र पूरी तरह सक्रिय है। जो गरीब इस जाल में फँसने से इनकार करते हैं या मोटी रकम देने में असमर्थ होते है। उनकी फ़ाइल सालों तक टेबल से टेबल घूमती रहती है। अनावश्यक टिप्पणियाँ लगाकर उनके काम में बाधा डाली जाती है। जबकि जो इस लूट तंत्र का हिस्सा बन जाते हैं, उनका काम 2–3 महीने में निपटा दिया जाता है। इस पूरे मामले पर एसआरए के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. महेंद्र कल्याणकर, म्हाडा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी संजीव जायसवाल और मुख्य अधिकारी मिलिंद बोरिकर का कोई नियंत्रण दिखाई नहीं देता। बता दें कि सक्षम प्राधिकारी बनकर आने वाले ज्यादातर अधिकारी राजस्व विभाग से होते हैं, जो राजस्व मंत्री और गृहनिर्माण मंत्री कार्यालय से सेटिंग करके गरीबों का खून चूसने के लिए यहाँ तैनात किए जाते हैं। आरोप है कि इस लूट तंत्र से अधिकारियों ने करोड़ों की कमाई की है! कई ने तो अकूत संपत्ति भी बना ली है। दुर्भाग्य यह है कि इनकी जाँच करेगा कौन और गरीबों की सुनेगा कौन? झोपड़ीधारकों ने माँग की है कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और गृहनिर्माण मंत्री एकनाथ शिंदे सक्षम प्राधिकरण कार्यालयों में लंबित फ़ाइलों की गुप्त जाँच कराएँ, ताकि सच सामने आ सके और दोषियों पर कार्रवाई हो।