
मुकेश ‘कबीर’
डॉक्टर के हाथ में आला तो देखा था लेकिन अब डॉक्टर हाथ में एके 47 भी रखने लगे यह देखकर आला घबराया और डॉक्टर से बोला कि जब सारे काम मैं कर देता था फिर तुम यह रायफल क्यूँ लटकाने लगे? तो डॉक्टर बोला सुन वे आले, गलत फहमी मिटा ले, तू सारे काम नहीं करता था तू सिर्फ उतना ही करता था जितना मैं करवाता था, तुझे सीने पर रखकर धड़कन सुनता था, लेकिन अब मुझे दिल की धड़कन नहीं सुनना, मासूम लोगों की चीखें सुनना है इसलिए रायफल पकड़ ली मैंने। अब तेरे साथ दिक्कत यह है कि तुझे गले में लटकाए रखो और हाथों से गोली दवाई देते रहो, ये डबल मेहनत मैं क्यों करूं जब राइफल में आवाज और गोली एक साथ उपलब्ध हो? अब हमें यह सोचने की टेंशन ही नहीं कि किसको कौन सी गोली देना है, अब सिर्फ एक बटन दबाने की जरूरत है बस बाकी सब अपने आप हो जाता है,पेशेंट का मुँह भी खुल जाता है, जुबान भी बाहर आ जाती है, हमें कहने की जरूरत भी नहीं पड़ती। न अब धड़कन सुनने की जरूरत और न ही अलग से गोली देने की जरूरत इसलिए तेरे जैसा आला हमारे ज्यादा काम का है या यह सर्व सुविधायुक्त राइफ़ल? अब तो तू सोच तेरा क्या होगा आला…। यह सुनकर आला समझ गया कि कुछ तो गड़बड़ है दया, ये आदमी डाकू तो हो सकता है लेकिन डॉक्टर तो कभी नहीं। दया जिस डॉक्टर के मन में दया नहीं वो सब कुछ होगा लेकिन डॉक्टर नहीं इसलिए आले ने पूछा सच सच बता तू डॉक्टर है या कसाई? तब डॉक्टर ने कहा कि तुझे मेरा चोगा और टोपी दिखाई नहीं देती क्या? डॉक्टर दिखने के लिए और क्या चाहिए? सफेद चोगा,गोल टोपी और कैबिन में हरा पर्दा, यह सब तो है न मेरे पास, सिर्फ एक आला नहीं होगा तो क्या फर्क पड़ेगा? आला लटकाने की जगह राइफ़ल लटकाने से मेरी डॉक्टरी खत्म हो जायेगी क्या? तब आले ने कहा कि तेरा कोई ईमान धर्म है या नहीं? तूने तो इंसान की जान बचाने,उन्हें जीवन देने की शपथ ली थी? तब डॉक्टर बोला कि मेरा धर्म यही है, मैंने जो भी किया है मेरे धर्म के अनुसार ही किया है,मेरा धर्म मुझे राइफ़ल की इजाज़त देता है आले की नहीं,आले को हम ताले में रखते हैं इसलिए चुपचाप पड़ा रह! अब आला समझ चुका था कि दुनिया बदल चुकी है, अब लुटेरे आयेंगे दानी के भेष में और भक्षक आयेंगे रक्षक के भेष में। आज के दौर में जान लेने का सबसे सरल तरीका यही है कि डॉक्टर बन जाओ, लोग आपको भगवान समझकर आयेंगे और आप उन्हें भगवान के पास पहुंचाएंगे, आसानी से।
पता नहीं कैसा वक़्त है हम पुलिस के हाथ से तो राइफल्स छीन रहे हैं और डॉक्टर के भेष में छिपे चंद दरिन्दे उस राइफल को धारण कर रहे हैं, इसीलिए सारे फसाद हो रहे हैं। अब वक़्त है कि हम डाक्टर का सिर्फ चोगा और टोपी देखकर भ्रमित ना हों, यह जरूर चेक करें कि डॉक्टर ने इंसानियत की पढ़ाई की है या नहीं? हमारे देश में हमेशा से डॉक्टर को धरती के भगवान का दर्जा प्राप्त है, जिसे सिर्फ जान बचाने की तालीम दी जाती है, जान लेने की तालीम तो सिर्फ कसाई को दी जाती है, इसलिए डॉक्टर के पास जाने से पहले उसकी जांच पड़ताल जरूर कर लें कि वह डॉक्टर है या…..।




